बस से बिस्तर तक 1
Bus se bistar tak-1
नमस्कार, मैं गुजरात के बड़ोदरा का रहने वाला हूँ, मेरा नाम राज है और आज मैं आपको अपनी कहानी बताने वाले हूँ कि कैसे मैं एक अनजान लड़की को बस से बिस्तर तक ले गया।
मेरी जवानी आते ही मुझे एक ही शौक रहा है, नई-नई चूत की तलाश करना और उनकी चुदाई करना।
हालाकि मुझे मज़े लेने से ज्यादा औरत को मज़े देने में सुख मिलता है।
इसीलिए मुझसे एक बार सेक्स करने के बाद हर औरत अपना साथी (पार्टनर) मुझे ही बनाना चाहती है और बार-बार मेरे साथ मज़े लेना चाहती है।
सीधी सी बात है अगर सचिन क्रिकेट में और बच्चन अभिनय (एक्टिंग) में माहिर हैं तो उसकी वजह है उनका लगाव और शौक।
इसी तरह मैं सेक्स में माहिर हूँ क्योंकि मेरा वो ही पहला और आखिरी शौक है ऊपर से सौ से अधिक औरत और लड़कियों के साथ का अनुभव भी है।
मुझे अधिक से अधिक लड़कियों के साथ मज़े लेने थे इसलिए रोज़ कसरत कर-कर के अपना शरीर ऐसा बना लिया है की कपड़ों के अन्दर हो या बगैर कपड़ों के औरत को पहली नज़र से ही पता चल जाये की यह बड़ा कसा हुआ नौजवान है।
अब मैं आप से अपने जीवन के सब से रोचक अनुभव की बात करना चाहूँगा।
अन्नू उसका नाम है।
दो साल पहले मेरी कार में खराबी होने की वजह से मैं बस में अपने शहर वापस आ रहा था।
मेरे बस में चढ़ने के बाद एक ही सीट खाली थी, वहाँ मैं बैठ गया था।
बाजू में अन्नू बैठी थी।
मेरी उसके साथ पहचान नहीं थी पर वह बार-बार अपने आंसू पोंछ रही थी, वह मैंने नोटिस किया था।
मैं खिड़की में से बाहर देखने के बहाने उसके सामने देख लेता था।
करीब दस मिनट के बाद मैंने पूछा – आप को कोई परेशानी है।
उसने कुछ भी बोले बिना अपना सर हिला दिया पर आँसू और अधिक उमड़ पड़े पर मैं जो मौका चाहता था वह मिल गया।
अपना तीर चलाता रहा तब कुछ देर के बाद वह कुछ खुल कर बोलने लगी और बताया – मैं शादीशुदा हूँ पर एक डॉक्टर भी बॉय फ्रेंड है।
उसने मुझे बुलाया, मैं आई पर वह नहीं आया और अब मेरा मोबाइल भी नहीं उठा रहा।
इतना कह कर अपनी साडी के पल्लू में मुँह छुपा कर जोरों से रोने लगी।
मैंने उसकी पीठ पर हाथ रख दिया और थप-थापने लगा। क्या जवानी थी।
पतली कमर, गेंहूआ वर्ण और क्या फिगर थी।
ऊपर से लोअर ब्लाउज पहन रखा था।
उसके मम्मे भी काफी हरे भरे थे।
सोचा चूतिया है साला डॉक्टर इतना मस्त माल सामने से चुदवाने आया था और खुद भाग खड़ा हुआ।
मैं सोचते-सोचते हाथ फिर रहा था पर बहुत देर तक वह कुछ नहीं बोली।
मेरी हिम्मत बढ़ गई और उसकी पीठ पर हाथ फिरने लगा।
वह चुप हो कर फिर से नार्मल हो गई। मैं यहाँ-वहाँ की बातें कर के उसको फिर हँसाने लगा।
नाम, अता-पता वगैरह पूछना-पाछना हो गया। फिर मैं अपने बारे में उसे बताने लगा वह बड़े चाव से सुनने लगी।
मैं बोला – यह बस तो बडौदा तक ही जाएगी और आप को तो आगे जाना है। क्या करोगी?
आइये, कुछ जल-पान कर के आगे जाइयेगा, कह कर उसे कसम वगैरह दे कर अपने साथ ज्यादा वक़्त रुकने को मना लिया।
मैं उसे रेस्टोरेंट में ले गया।
वह कुछ खा-पी रहे थे तब पता चला के वह घर से एक रात बाहर रहने का जुगाड़ कर के निकली थी पर डॉक्टर ने धोखा दे दिया तो अब वापस जा कर उसे बहाने बनाने पड़ेगे।
मेरे तो वारे-न्यारे हो गए मैंने कहा अन्नू पर परेशान क्यों होती हो?
कहीं रुक जाओ न, रात भर के लिए। किसी होटल वगैरह में कमरा ले लो और ठहर जाओ।
तब उसने बताया की वह यह पहले ही कोशिश कर चुकी है पर अकेली लड़की तो कोई कमरा नहीं देता है।
मेरी तो यह बात सुन कर जैसे किस्मत ही खुल गई।
मैंने कहा – अब आप का यहाँ तक साथ दिया है तो चलो वह समस्या भी मैं ही हाल किये देता हूँ। मुझे कोई खास काम है नहीं, घर जा कर।
क्यों न हम दोनों रुक जाये आज एक साथ?
मेरी बात सुन कर वह नाश्ता करते-करते रुक गई और मुझे घूरने लगी।
मैं हँसते हुए उसे देख कर उसकी प्रतिक्रिया (रिएक्शन) का इंतजार कर रहा था।
अगर वह गुस्सा करे तो मजाक कर रहा हूँ, कर के बात को बदल दूंगा और मान गई तो फिर बात ही क्या थी।
वह कुछ बोले बिना फिर नाश्ता करने लगी। हम दोनों कुछ देर खामोश रहे।
बिल चुका कर हम बाहर निकले ही थे और मैं क्या बात करूँ, वह सोच ही रहा था तभी वह – राज, क्या आप अपना आईडी कार्ड साथ में रखते हो?
मैंने कहा – क्या? क्यों?
होटल में रुकने के लिए आईडी कार्ड जरुरी है। वर्ना कोई कमरा हमें नहीं देगा।
मेरे पैरों से सर तक एक लहर सी दौड़ गई। मैं चलते-चलते रुक कर उसे देखने लगा।
वह मेरा हाथ पकड़ कर अपना सर झुका कर मुझे खिंच कर चलने लगी।
मैं उसके पीछे-पीछे चलने लगा। फिर ऑटो रोक कर हम दोनों बैठ गए।
मैंने ऑटो वाले को मेरी पहचान की होटल का नाम दिया और हम वहाँ पहुँच गए।
कमरे में पहुँचते ही मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन, कन्धों और कान पर चूमने लगा।
मैने अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पर जकड़ रखे थे।
वह मुझे पूरी तरह समर्पित हो चुकी थी।
मैं बारी-बारी दाएँ और बाएँ तरफ मुँह ले जा कर उसके कंधो, पीठ, गाल, कान और चेहरे पर चूमता रहा।
मैं कान पर अपनी हुई फिरा कर हल्की सी फूंक उसके कान में मार देता था।
वह सिस्कारियां भरती हुई अपने पूरे बदन का पिछला हिस्सा मुझ पर चिपका कर खड़ी थी।
आँखे बंद कर के वह सिस्कारियां भर रही थी पर मेरे दोनों हाथ उसका पीठ पकड़ कर ही वैसे के वैसे थे वह अभी भी हरकत में नहीं आये थे।
उसने अपने दोनों हाथों से मेरे हाथ को पकड़ा और अपने पीठ से हटा कर अपने दोनों चुचो पर मेरी हथेलियाँ टिका दी।
मैं पहले हल्के से और फिर ज़ोर से उसके दोनों मम्मो को नीचे से ऊपर की तरफ उठा-उठा कर दबाने लगा।
वह पागल हुए जा रही थी।
अचानक वह मेरी ओर घूम गयी और अपनी साडी की पीन को ब्लाउज से निकाल दिया।
अब पल्लू गिरने को तैयार था और मम्मे के बीच की दरार की बारी आ गई थी।
मैं झुक कर उन खुली दरारों और ब्लाउज के बाहर उसके एक-एक रोम को चाटने और चूसने लगा था।
वो पागलों की तरह आहें भर के मेरा चेहरा अपने चुचों के बीच दबाये जा रही थी।
मेरे दोनों हाथ उसके ब्लाउज के पीछे फिर रहे और पीछे से हुक भी खोलने लगे थे।
मैं उसकी गर्दन पर अपनी जुबान फिराता रहा और दूसरी और मेरे हाथ उसके ब्लाउज को हटा कर ब्रा के समेइत हवा में उठा कर दूर फेंक चुके थे।
थोड़ी देर पहले बस से अब वो मेरे बिस्तर पर पड़ी थी और ऊपर से बिलकुल नंगी थी मैं उसकी निप्पल को बारी-बारी से मुँह में ले कर अपनी जुबान घुमा-घुमा कर चूस रहा था साथ में दोनों हाथों से दोनों मम्मे भी दबा रहा और वह होश खोये जा रही थी।
आखिर उसका धीरज जवाब दे गया और मुझे धक्का दे कर अपने से दूर हटा कर खुद ही अपनी साडी और पेंटी उतार कर पूरी नंगी हो गई।
मैं मुस्कुरा दिया तो वह मुस्कुरा कर बाहें फैला कर आई और मेरे होंठ पर अपने होंठ रख कर जुबान से जुबान लगा कर चूमने लगी।
उसने अपना एक हाथ मेरे पैंट के ऊपर से ही लंड पर फिराना शुरू कर किया।
मैंने उसे अपने हाथों से पूरा हवा में उठा लिया और उसकी दोनों टांगें फैला कर अपने दोनों कंधो पर दोनों तरफ लगा लिया।
मैं खड़ा हुआ तो वह पहले तो घबरा गई पर उसने छत पर लगे पंखे को पकड़ लिया और तब तक मैं अपनी हुई उसकी चूत के दाने तक लगा चुका था।
मैं अपनी जुबान को उसके दाने के चारों और घुमा कर चाट रहा था और वह कमर हिला-हिला कर आहें भर रही थी।
पांच मिनट ही हुए होंगे कि वह झड गई। वह सीधी बिस्तर पर ढेर हो कर गिर गई।
कहानी जारी रहेगी ..