दोस्त के घर पर दिव्या की चुदाई

Dost ke ghar par divya ki chudai

मेरा नाम विशाल अग्रवाल है। मेरी उम्र 30 साल है।

मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। ये मेरी पहली कहानी है, मैं एक कन्स्ट्रक्षन कंपनी में जॉब करता हूँ और फिलहाल मैं आगरा में रह रहा हूँ।

सबसे पहले मैं आप लोगों को अपने बारे में कुछ बताना चाहता हूँ, मेरी हाइट 5′ 6” है और मेरे लण्ड का साइज़ 5” है।

दिखने में भी स्मार्ट हूँ, अब ज़्यादा टाइम खराब ना करते हुए मैं सीधा कहानी पर आता हूँ।

मैं पिछले एक साल से आगरा में रह रहा हूँ। मुझे नयी मूवी देखने का बड़ा शोक है, मैं कोई भी नयी मूवी नहीं छोड़ता हूँ।

आगरा में मेरा एक दोस्त रहता है तो मैं हर सनडे आगरा जाता हूँ।

कभी-कभी मैं अपने दोस्त के घर भी चला जाता हूँ, जब पहली बार मैं उसके घर गया तो मैंने देखा उसके घर के नीचे एक घर है उस में एक बहुत खूबसूरत लड़की रहती है।

वो लड़की इतनी सुंदर और सेक्सी थी कि क्या बताऊँ।

दोस्तो, मेरे तो मुँह में पानी आ गया और मेरा लण्ड खड़ा हो गया।

मन कर रहा था वहीं पर पटक कर चोद डालूँ, क्या चूची थी उसकी?

36 से कम नहीं होंगी, एकदम मोटी गाण्ड बहुत ही प्यारी लग रही थी। मैंने अपने आप को बड़ी मुश्किल से संभाला।

फिर मैं हर सनडे अपने फ्रेंड के घर जाने लगा। मैं जब भी उसके घर जाता, उस लड़की को देखने से अपने आप को नहीं रोक पता।

एक दिन उसको देखते हुए मेरे फ्रेंड की वाइफ ने मुझे देख लिया। अगली बार जब मैं अपने फ्रेंड के घर गया तो मेरा फ्रेंड घर पर नहीं था।

वो किसी काम से दिल्ली गया हुआ था, उसकी वाइफ ने मुझे बताया कि वो दो दिन बाद आएगा।

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फिर थोड़ी देर बाद मेरे फ्रेंड की वाइफ मेरे लिए चाय बना कर ले आई और हम दोनों बैठ कर चाय पीने लगे और ऐसे ही बातें करने लग गये।

कुछ देर बाद उसने मुझसे पूछा – क्या बात है, आज कल आपका ध्यान कहाँ है?

मैंने कहा – मैं कुछ समझा नहीं।

उसने कहा – आजकल आपका ध्यान दिव्या की तरफ बहुत है, क्या बात है?

मैंने कहा – कौन दिव्या?

तो भाभी ने बताया कि उस लड़की का नाम दिव्या है, जिसे मैं देख रहा था।

मैंने बात को घुमाने की कोशिश की – ऐसी कोई बात नहीं है भाभी। तो भाभी ने कहा – अगर मुझसे छुपाओगे तो नुकसान में रहोगे।

फिर क्या था, मैंने भाभी को बता दिया कि मैं उस लड़की को पसंद करता हूँ, कैसे भी कर के उसके साथ बात बनवा दो।

तो भाभी ने कहा कि दिव्या भी तुमको पसंद करती है।

मैंने कहा – भाभी, बुलाओ ना उसको। भाभी ने उसको फोन करके बुला लिया।

फिर भाभी हम दोनों को अकेला छोड़ कर वहाँ से ये कह कर चली गईं कि मैं एक घंटे बाद आती हूँ, मुझे कुछ काम है।

फिर मैंने भाभी के जाते ही रूम अंदर से बंद कर लिया और उसके हाथ को पकड़ कर उसको आई लव यू बोल दिया।

जवाब में उसने भी मुझे आई लव यू बोल दिया। फिर मैंने अपने होंठ उसके जलते हुए होंठो पर रख दिए और चूसना चालू कर दिया, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डालता कभी वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डालती। इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता।

हम पाँच मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे, फिर मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी, उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी, उसकी चुचियाँ बहुत ही कड़क हो रही थी। ऐसा लग रहा था मानो ब्रा को फाड़ कर बाहर आ जाएँगी।

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मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चुचियाँ दबाने लगा, थोड़ी देर बाद मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी।

मैं तो बस उसकी चुचियाँ देखता ही रह गया।

जिंदगी में पहली बार एक दम नंगी चुचियाँ देख रहा था, मुझे तो लग रहा था कि बिना कुछ करे मेरा पानी निकल जाएगा।

मेरा लण्ड एकदम खड़ा था और पेंट को फाड़ कर बाहर निकालने के लिए बेकरार था।

फिर मैं पागलों की तरह उसकी चुचियों पर टूट पड़ा। कभी उनको चूसता कभी उनको दबाता।

वो मेरे बालों में हाथ फेर रही थी और सिसकारियाँ ले रही थी। उसको भी बहुत मज़ा आ रहा था।

मैं काफ़ी देर तक उसकी चूची चूसता रहा, फिर मैंने उसकी जीन्स भी निकाल दी।

उसकी पैंटी आगे से गीली हो गयी थी, मैंने उसकी पैंटी भी निकाल दी, फिर मैं उसकी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा।

उसमे उंगली डाल कर मैं आगे-पीछे करने लगा।

वो मुँह से अजीब-अजीब आवाज़ें निकाल रही थी। आह… उफ़… हाय… उसकी आवाज़ें सुन कर मेरा हाल और भी बुरा होता जा रहा था।

अब मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और उसको बेड पर सीधा लेटने के लिए बोला।

वो बेड पर लेट गयी और फिर मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर सेट किया और धक्का दिया पर मेरा लण्ड फिसल गया।

मैंने एक बार और कोशिश की पर फिर से मेरा लण्ड फिसल गया तब उसने अपने हाथ से मेरा लण्ड पकड़ा और अपनी चूत पर सेट किया और मुझे धक्का मारने के लिए बोला।

मैंने ज़ोर से धक्का दिया, मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में चला गया।

लण्ड अंदर जाते ही उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी।

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थोड़ी देर बाद मैंने अपने लण्ड को आगे-पीछे करना चालू कर दिया।

कुछ ही देर बाद मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत के अंदर चला गया।

मैंने उसको ज़ोर-ज़ोर से चोदना चालू कर दिया, वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

बीच-बीच में मैं उसकी चुचियाँ भी चूस लेता था। कभी-कभी उसके होंठो को भी पी लेता था।

अब तक उसके निप्पल एकदम टाइट हो गए थे। थोड़ी देर बाद उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और मेरे होंठो को ज़ोर से चूसने लगी तभी मेरा भी पानी निकल गया और मैंने उसको अपनी बाँहो में भींच लिया।

मुझे इतना मज़ा जिंदगी में कभी नहीं आया था, फिर थोड़ी देर तक मैं उसके उपर लेता रहा।

थोड़ी देर बाद उसने मुझे फिर से चूमना चालू कर दिया। मेरा पप्पू फिर से खड़ा हो गया, हमने फिर से चुदाई चालू कर दी।

इस बार मैंने उसको 15 मिनट तक चोदा।

इसके बाद मैंने मेरे ऑफीस में फोन करके 2 दिन की छुट्टी ले ली और मैं 2 दिन तक अपने दोस्त के घर पर रहा और उन 2 दिनो में मैंने उसकी चूत की खूब चुदाई की उसको भी बहुत मज़ा आया।

मैंने इन 2 दिनो में उसको कम से कम 20 बार चोदा, उसके बाद जब भी मौका मिलता हम खूब चुदाई करते।

पर थोड़े दिन बाद वो जयपुर चली गयी पढ़ने के लिए और मुझे अकेला छोड़ गयी।

मुझे उसकी बहुत याद आती है।

आपने yachting4u.ru में अभी-अभी हॉट कहानी आनंद लिया लिया आनंद जारी रखने के लिए अगली कहानी पढ़े..

दोस्तो, मुझे मैल ज़रूर करना, आपको मेरी आपबीती कैसी लगी…

yachting4u.ru में कहानी पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद, हमारी कोशिश है की हम आपको बेहतर कंटेंट देते रहे!