Stranger Sex

दूसरी विदाई

(Dusri Bidaai)

प्रेषिका : निहारिका गुप्ताहाय दोस्तो,

काम के सिलसिले में मुझे झारखण्ड के एक छोटी सी जगह गुमला जाना पड़ा, वहाँ मेरी दोस्ती सुजाता से हुई। गाँव में रहते हुए भी सुजाता का तौर तरीका बिल्कुल शहर जैसा था, उसकी उम्र लगभग 24-25 साल की थी और तीन साल की एक बेटी भी थी। देखने में सुजाता बेहद सुंदर थी, कद 5’6″ रंग गोरा, पतली कमर और भरे हुए स्तन सब बहुत खूबसूरत था। गाँव में ऐसी सुंदर और शहर के अंदाज़ वाली लड़की को देखकर ही मेरा ध्यान उसकी तरफ गया और बातों बातों में हमारी दोस्ती हो गई। उसके बाद सुजाता ने मुझे अपनी कहानी सुनाई जो उसी के शब्दों में मैं आपको बता रही हूँ…

मेरा नाम सुजाता है, मेरा जन्म और पढ़ाई सब दिल्ली में हुई। जैसे ही कॉलेज के आखिरी साल के पेपर दिए, मम्मी-पापा ने मेरी शादी अर्पित से तय कर दी। अर्पित एक सरकारी कंपनी में इंजिनियर थे और काफी अमीर थे, शायद यही देखकर मम्मी-पापा ने झट से शादी के लिए हाँ कर दी। मैं इतनी जल्दी शादी नहीं करना चाहती थी पर कुछ कर न सकी और दो ही महीनों के अंदर मेरी शादी कर दी गई। सुहागरात को ही मुझे समझ आ गया कि मेरी जिंदगी बर्बाद हो गई है, अर्पित ने मुझे साफ़ साफ़ बता दिया कि वो नपुंसक हैं और मुझे किसी से भी इस बात के बारे में जिक्र नहीं करने की धमकी दी।

मेरी सुन्दरता के पीछे कॉलेज में लड़के लाइन लगा कर खड़े नज़र आते थे और मैंने कभी किसी को chodne ka भाव नहीं दिया, अब अर्पित के इस खुलासे ने मेरे सारे सपनों पर पानी फेर दिया था।

अर्पित अपनी नपुंसकता का हर्जाना मुझसे वसूलते थे, मुझ पर हज़ार तरह की रोक टोक थी किसी पुरुष से बात नहीं करना, अकेले बिन बताये कहीं आना जाना नहीं, घर से बाहर चेहरे पर घूँघट रख कर निकलना आदि। इस सबके बावजूद अर्पित मुझ पर हमेशा शक करते रहते और ताने मरते रहते।

सुबह उठकर खाना बनाना, अर्पित को ऑफिस भेजना, घर के काम निपटाना और शाम को उनके आने के बाद फिर खाना बनाना, उनके ताने सुनना, और रोते हुए सो जाना बस यही जिंदगी रह गई थी मेरी। अर्पित को मेरी कोई बात अच्छी नहीं लगती थी और हर बात पर मुझसे झगड़ा करते थे। कई बार मन किया कि आत्महत्या कर लूँ पर हिम्मत नहीं जुटा पाती थी।

हमारे घर के बाहर थोड़ी दूरी पर कुछ झुग्गियाँ बसी हुई थीं जो हमारी रसोई से साफ़ दिखतीं थीं। वहाँ मजदूर और रिक्शा चलाने वाले लोग रहा करते थे। रोज मैं जब नाश्ता बना रही होती थी तो उसी समय एक लड़का जिसकी उम्र कोई 22-23 साल होगी वहाँ हैंडपंप पर नहाता था। सांवला रंग, ऊँचा कद और मेहनत से गठा हुआ बदन देखकर मेरा ध्यान बरबस ही उसकी ओर खिंच गया। मैं रोज उसे नहाते हुए देखती। भीगे हुए अंडरवियर में उसका सामान बहुत बड़ा नज़र आता था बस मेरे बदन में प्यार और वासना की भूख उसे देखकर ही बढ़ जाती थी।

मेरा चरित्र ख़राब नहीं था पर शादी के बाद जो हालात मेरे थे वो किसी को भी भटकने को मजबूर कर सकते थे। कई बार आत्मग्लानि भी होती पर मैं फिर भी उसे रोज देखने लगी।

एक दिन घर का सामान खरीदने के लिए बाज़ार जाने को निकली, मैंने अर्पित के कहे अनुसार चेहरे पर घूँघट कर रखा था जिसे एक तरफ दांतों से दबा रखा था ताकि हवा से उड़ न जाये।

मैंने रिक्शा को हाथ दिया पर उसने रोका नहीं, तभी पीछे से आवाज़ आई, “मैडम जी कहाँ चलना है बैठिये मैं ले चलता हूँ।”

मुड़कर देखा तो एक रिक्शा वाला खड़ा था, उसके चेहरे पर नज़र पड़ी तो मैं सकपका गई, यह तो वही लड़का था जिसे मैं रोज नहाते हुए देखती थी। पास से देखकर पता चला कि गरीब होते हुए भी वह काफी सुंदर दिख रहा था मन में अजीब बेचैनी सी होने लगी।

उसने फिर कहा, “मैडम जी, चलिए कहाँ चलना है?”

मैंने खुद को संभाला और कहा, “ह.. हाँ चलो, सब्जी मंडी जाना है।”

Hindi Sex Story :  इंटरनेट दोस्त के साथ सेक्स का मजा

कहकर मैं रिक्शा में बैठ गई।

रिक्शा चलने लगा तो उसने धीरे से गुनगुनाना शुरू किया, ध्यान से सुना तो पता चला वह कोई लोक गीत गुनगुना रहा था, उसकी आवाज़ मर्दाना होते हुए भी मीठी और सुरीली थी।

मैंने कहा, “बहुत अच्छा गा लेते हो, नाम क्या है तुम्हारा?”

वह बोला, “मेमसाब मेरा नाम विनायक है पर लोग विक्की कह कर बुलाते हैं.. यह मेरे गाँव का लोक गीत है जब भी गाँव की याद आती है तो गुनगुना लेता हूँ।”

मैंने पूछा, “कौन कौन है घर में तुम्हारे?”

तो विनायक बोला, “माँ बाबा हैं बस !”

मैंने पूछा, “कोई भाई बहन नहीं है.. और बीवी.. शादी नहीं हुई तुम्हारी?”

उसने कहा, “नहीं मेमसाब और कोई नहीं है।”

उसकी शादी नहीं हुई है यह जानकर मन में हल्की सी गुदगुदाहट हुई, पर तभी एहसास हुआ कि मैं एक शादीशुदा लड़की हूँ और अर्पित ही मेरा सच है।

इस मुलाकात के बाद लगभग रोज ही बाज़ार जाने के समय विनायक मुझे मिल जाता था, मैं भी रोज किसी न किसी बहाने बाज़ार जाने लगी थी और हम लोग काफी घुल मिल गए। अब वो न सिर्फ मुझे बाज़ार लेकर जाता बल्कि मुझे वापस भी लाता था।

एक दिन रिक्शा से उतर कर मैं जब उसे पैसे देने लगी तो तेज़ हवा से मेरा घूँघट चेहरे से हट गया.. मैंने घूँघट को किसी तरह संभाला तो देखा की विनायक मेरे चेहरे की तरफ एकटक देख रहा है, मुझे शर्म आ गई और मैं झटपट उसे पैसे देकर भाग गई।

इन्ही छोटी बड़ी बातों में न जाने कब मुझे विनायक से प्यार हो गया.. वो अपनापन जो अर्पित से कभी नहीं मिला, विनायक से मिलने लगा। मैं जानती थी कि विनायक भी मुझे चाहता है।

एक दिन बहुत बरसात हो रही थी, मैं बाज़ार जाने को निकली पर विनायक नहीं मिला। मैं कुछ परेशान हुई और अनचाहे मेरे कदम विनायक की झुग्गी की तरफ बढ़ गए।

मैं बारिश में पूरी तरह भीगी हुई थी, मेरा सूट सलवार बदन से चिपक गया था और इस हालत में मैं उसके घर के दरवाज़े पर पहुंची, छोटा सा लकड़ी का दरवाज़ा खुला हुआ था, मैं विनायक को आवाज़ लगाती अंदर चली गई। वहाँ ज़मीन पर एक तरह खाना बनाने का सामान रखा था और दूसरी तरफ फर्श पर ही बिस्तर बिछा था एक पतला सा गद्दा और मैली सी चादर, उस पर पुराना सा एक तकिया बस।

विनायक उस समय चाय बना रहा था, मुझे देख वह हैरान रह गया, कुछ कहता इससे पहले उसकी नज़र मेरे भीगे बदन पर पड़ी, यह देखकर मुझे भी एहसास हुआ कि मेरी हालत कितनी अजीब है।

विनायक बोला, “मेमसाब अ.अ.. आप यहाँ कैसे.. ब.. बैठिए..”

मैंने कदम आगे बढ़ाया तो लड़खड़ा गई और गिरने लगी। तभी विनायक ने लपक कर मुझे बाँहों में संभाल लिया.. मेरे दाहिने स्तन की गोलाई उसके बाजू पर टिकी हुई थी.. भीगा बदन.. मन में दबी प्यास.. और अपने स्तन पर उसकी बाजु की छुअन ने मेरे अंदर से हर झिझक को मिटा दिया और मैं उसकी बाँहों में सिमट गई।

विनायक ने भी कोई विरोध नहीं किया और मुझे अपनी बाँहों में समेट लिया।

मैंने कहा, “विक्की, मैं बहुत अकेली हूँ और बहुत प्यासी भी मुझे छुपा लो अपने पास !”

विनायक ने मुझे और कस के पकड़ा और मेरे कुछ कहने सोचने से पहले मेरे होंठों को अपने होंठों से ढक दिया।

मैं भी उसका साथ देने लगी.. ‘पुच..प..पप..पुच’ की आवाज़ के साथ हम एकदूसरे चूमने लगे।

विनायक ने बनियान और लुंगी पहन रखी थी जो उसने जल्दी से उतार दी और दरवाज़ा बंद कर दिया।

उसका लंड पूरी तरह खड़ा हो चुका था जो अंडरवियर से बाहर आने को बेताब था।

उसने मुझे पकड़ कर नीचे बिस्तर पर लिटा दिया और मुझे चूमना शुरू किया.. पहले माथा, फिर दोनों आँखे, फिर नाक, फिर गालों पर, फिर मेरे होंठों पर, फिर गर्दन पर चुम्बन लिया.. उसका लंड मेरी चूत के पास रगड़ खा रहा था मेरे बदन में जैसे आग लग रही थी। मैंने उसके हाथ को पकड़ कर अपनी बांई चूची पर रख दिया..

Hindi Sex Story :  कस्टमर की छाती का सही नाप

बेरहम ने उसे पकड़ कर मसल दिया..

मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई, “अ आ अ आह.. जोर से विक्की और ज जो जोर से दबाओ आह म..स..सल दो इन्हें।”

विनायक ने एक ही झटके में मेरा कुरता फाड़ दिया अब मेरी गोल गोल चूचियों और उसके होंठों के बीच सिर्फ मेरी ब्रा थी जिसे मैंने झटपट निकाल दिया.. विनायक ने मेरा एक निप्पल मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और दूसरे को एक हाथ से दबाना शुरू कर दिया।

मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गई थी और पूरी बेशर्मी से उसे उकसा रही थी.. “हाँ विक्की और चूसो.. दबाओ.. मसल दो मुझे !” विनायक मेरे बदन के हर हिस्से को होंठों से चूम रहा था, हाथों से मसल रहा था और मैं आनन्द से उसकी बाँहों में सिसक रही थी, मचल रही थी ..मैंने हाथ नीचे करके विनायक का लोड़ा पकड़ लिया.. उसकी लम्बाई और मोटाई के एहसास से ही मेरा बदन काँप गया। विनायक ने घुटनों के बल बैठ कर अपना कच्छा भी उतार दिया उसका लंड एकदम काला था कम से कम 8″ लम्बा और मेरी कलाई जितना मोटा ! मैं थोड़ा घबराई, फिर बढ़कर उसे अपने हाथों से पकड़ लिया, मेरे दोनों हाथों में होने के बाद भी उसका दो इंच का सिरा बाहर दिख रहा था.. मैंने थोड़ा सा होंठों को आगे किया और विनायक ने अपनी कमर को आगे बढाकर अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने पहले उसे किसी आइसक्रीम की तरह हल्के हल्के से चाटा और फिर किसी आम की गुठली की तरह चूसना शुरू कर दिया।

विनायक ने आँखें बंद कर ली और चुसाई का मजा लेने लगा। कभी धीरे, कभी तेज़, मैं 15 मिनट तक उसके लंड चूसती रही। तब अचानक विनायक के कराहने की आवाज़ आई और उसने अपना ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया। कुछ मेरे मुँह के अंदर गिरा और कुछ मेरे चेहरे और दूधुओं पर !

मैंने उसकी एक एक बूँद गले से नीचे उतार ली उसका स्वाद मेरे तन मन में बस गया। यह देखकर विनायक मुस्कुराया और बोला, “अब मैं तुम्हें ऊपर तक ले जाऊँगा।”

मैंने आँखे नीचे करके कहा, “विक्की मुझे इतना चोदो कि मेरे रोम रोम में तुम्हारा रस भर जाये !”

विनायक ने मेरी सलवार भी नाड़ा खींच कर उतार दी और कच्छी भी ! मैं पहली बार किसी मर्द के सामने पूरी तरह नंगी थी मेरी तरफ देखकर वो बोला, “मेमसाब आप बहुत सुंदर हो।”

मैंने कहा,”मेमसाब नहींम सुजाता ! तुम्हारी सुजाता !”

विनायक ने मुस्कुरा कर मुझे हल्का सा धक्का दिया जिससे मैं उस मैले से बिस्तर पर लेट गई और उसने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया..

“अ अ आ आ आह अ आह.. उफ़ अ उ ऊइ माँ.. हाँ ऐसे ही आह विक्की आह चूसो आह..”

विनायक ने चूत चूसते चूसते अपने हाथों से मेरी चून्चियां दबानी शुरू कर दी, मैं भी कमर उठा कर अपनी चूत को उसके मुँह के अंदर धकेलने लगी और अपने हाथों से उसका सर अपनी चूत पर दबाने लगी..

मेरी सिसकारियों से झुग्गी गूँज रही थी और मैं बस दुआ कर रही थी कि काश ये पल.., यह मजा कभी खत्म न हो ! विक्की मुझे यूँ ही चोदता रहे हमेशा.. मेरे बदन की आग अब बहुत बढ़ चुकी थी, अब मुझसे इंतज़ार नहीं हो रहा था, मैंने विनायक से कहा, “अब बस अपना लोड़ा मेरी चूत में डाल दो विक्की.. फाड़ दो मेरी चूत और समा जाओ मुझमें ! अ आह उफ़ आ आह अब आह और अ अ इंतज़ार न… नहीं हो रहा !”

विनायक ने बिना देर किये मेरी दोनों टांगों को फैलाया और अपना मूसल सा लंड मेरी चूत के छेद पर टिका दिया।

मैंने आने वाले पलों के एहसास को पूरी तरह महसूस करने के लिए अपनी आँखे बंद कर ली और साँसें रोक ली..

विनायक ने मुझे तरसाने के लिए अपना सुपारा मेरी चूत के चारों तरफ गोल गोल रगड़ना शुरू कर दिया। मैंने बेचैन होकर अपनी चूत को ऊपर की तरफ झटका दिया, ठीक उसी पल में विनायक ने अपना लोड़ा मेरी चूत के छेद की तरफ करके धक्का मारा.. दोनों तरफ से एक साथ धक्का लगने के कारण एक ही बार में लंड मेरी कुंवारी चूत को चीरता हुआ लगभग आधा अंदर चला गया और मेरी चीख निकल गई, “आई माँ मर गई ऊऊफ़ आह मा माँ अ आ आअ आह बहुत दर्द हो रहा है, विक्की प्लीज अ आह आ नि..का..लो इसे ! आह !”

Hindi Sex Story :  शहरी छमिया की गावं में चुदाई-1

पर विनायक ने मेरी बात को जैसे सुना ही नहीं और अभी मैं पहले झटके के दर्द से उबर भी न पाई थी कि दूसरा झटका लगा। इस बार लंड हम दोनों के बदन से निकली चिकनाई के सहारे जड़ तक मेरी चूत में समा गया.. हल्की सी खून की धार मेरी चूत से बहकर बिस्तर पर गिरने लगी..

मैं चाहकर भी कोई आवाज़ नहीं निकल पा रही थी, दर्द ने मेरी आवाज़ ही बंद कर दी थी.. विनायक कुछ देर रुक कर मेरे दर्द कम होने का इंतज़ार करने लगा..

मैंने भी हिम्मत दिखाई और चुपचाप लेटी रही। कुछ मिनट में दर्द कम होने लगा और मुझे अपने अंदर एक सम्पूर्णता का एहसास होने लगा..

मेरा दर्द कम होता देख विनायक ने धीरे धीरे लंड को मेरी चूत में आगे पीछे करना शुरू किया, पहले दर्द ज्यादा और मज़ा कम महसूस हुआ, फिर धीरे धीरे दर्द कम होता गया और मज़ा बढ़ता गया..

मैं कुंवारी से सुहागिन बन चुकी थी, मेरा नंगा बदन विनायक की मज़बूत गिरफ्त में मचल रहा था और मेरी चूत में आनन्द की हिलौरें उठ रही थी।..विनायक के धक्के धीरे धीरे तेज़ होने लगे, अब तो वह लगभग हर बार पूरा लंड चूत से बाहर निकाल कर अंदर धकेल रहा था, मैं भी हर धक्के के साथ कमर उठा कर उसका साथ दे रही थी..

हमारी चुदाई की घच्च घच्च और फ़ुच फाच् की आवाज़ से कमरा भर चुका था, हम दोनों के बदन पसीने से लथपथ थे पर बस एक ही ख्याल हमारे दिमाग में था, विनायक मुझे और चोदना चाहता था और मैं उससे और चुदना चाहती थी..

मैं बार बार बोल रही थी, “चोदो मुझे विक्की ! फाड़ दो इस चूत को ! और जोर से धक्का मारो.. मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो विक्की ! मुझे औरत बना दो ! मेरे रोम रोम को चोद डालो विक्की ! मुझे मसल डालो ! और जोर से ! और जोर से…!”

फिर करीब आधे घंटे तक धक्के खाने के बाद मैं झर गई मेरे बदन में आनन्द की ऐसी लहर उठी जो पहले कभी महसूस नहीं की थी। मैं कस के विनायक से लिपट गई और सिसकियाँ लेने लगी। उसी पल में विनायक ने भी दूसरी बार अपना वीर्य छोड़ दिया। इस बार वो सारा मेरी चूत में भर गया और मैंने थककर बदन को ढीला छोड़ दिया।

कुछ देर बाद हमने फिर चुदाई शुरू की, इस बार विनायक ने मुझे घोड़ी बनाकर चोदा..

इसी तरह बाहर बरसात होती रही, अंदर मैं चुदती रही !

विनायक ने सात बार मेरी अलग अलग ढंग से चुदाई की !

शाम हो चुकी थी, मैं जैसे तैसे अपने फटे कुर्ते को सिल कर,दुपट्टे से खुद को ठीकठाक ढक करके वापस घर लौट गई।

….पर अब अर्पित के साथ रहना संभव नहीं था.. उसी रात मैं और विनायक उसके गाँव ‘गुमला’ भाग आये और हमने यहाँ शादी कर ली.. मैंने एक स्कूल में टीचर की नौकरी कर ली और विनायक ने ऑटो चलाना शुरू कर दिया।

उस दिन की चुदाई से मुझे एक बेटी हुई जिसका नाम सविता है, हम दोनों खुशहाल जीवन जी रहे हैं.. मम्मी पापा ने मेरी विदाई अर्पित के साथ की, जिससे मुझे सिर्फ दुःख ही मिला, विनायक के साथ मैंने अपनी मर्ज़ी से दूसरी विदाई ली और मैं अपने फैसले से खुश हूँ, पैसा बहुत नहीं है, पर प्यार बहुत है, उतना, जितना मुझे चाहिए था…

सुजाता की जिंदगी की कहानी आपको कैसी लगी, यह जरूर बताना, मेरा ईमेल एड्रेस है-



फुद्दि कहानियोंपंजाबी Sex कहानी दरददीदी तै सेक्स स्टोरीsex story sauteli ma hindi"gandi kahaniya""bhabhi ki chudai ki kahani in hindi""hot sexy story""sex stories of husband and wife"Hindistorysexki"garam bhabhi""sexy storis in hindi"लडकी का सेकस कहानी"mastram ki sexy story""indian sex stories.""hinde sexy story com"chudai ka sukh sex stories"bhabi ki chut"mama ne ki cut ki safai hindi sex kahani 2020/tag/randi-biwi/chudai story chalu ldki ko"hot teacher sex""chudai ka maja""uncle sex story"Sex story mikenik ne maa KO choda"hot sexy story"bua ki suhagrat khet me hindi"bhai bahan ki chudai"www.kamukta.com"bhai bahan ki chudai""fucking story""indian wife sex story"haweli main chudai"lund bur kahani"didi.kai sath sexy storyLock down me chudai kahanihindisexykahanibapbeti"pahli chudai ka dard""hindi sexy story in""sexi hot story"lockdown ki sex kahanihindi sexy kahaniyaरिया और शालू की चुदाई"chudai ki kahani in hindi with photo""sexy chut kahani"सेक्सि कहानीdesisexstories"adult stories in hindi""hindi sexy store com"hindisexikahaniya"new hindi xxx story"sex chut malis kahanianbujhi pyas saxy story"chachi sex stories""hindi sexy hot kahani""sex ki kahaniya""incest sex stories in hindi""didi ki chudai dekhi""hindi erotic stories"bhai ko nanga jesam dikhaya new hinde sax storybindas desi chudai aunty kastdayak kahaniहलक तक लंड डाल कर चूसा"indian se stories"chodancom"ma ki chudai""sex kahani hindi new""www kamvasna com"kamykta"www sex story co""hindi chudai ki kahani with photo""sexy story in tamil""desi porn story""read sex story""bhanji ki chudai"