तलाकशुदा सुनन्दा की ठुकाई-1

(Gaand Chut Thukai Sunanda-1)

मेरे मसाला-कारखाने में सुनन्दा दो साल से काम कर रही थी। मैं उस से 2-3 बार मिल चुका हूँ।

27 साल की सुनन्दा सांवली सुडौल शादी-शुदा महिला है। वो जब भी मिलती, तो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी।

मुझे देख कर उसकी नज़रों में एक अजीब नशा सा छा जाता था या यूँ कहिए उसकी नज़र में सेक्स की चाहत झलक रही हो।

ऐसा मुझे क्यों महसूस हुआ यह मैं नहीं बता सकता हूँ। लेकिन मुझे हमेशा ही लगता था कि वो नज़रों ही नज़रों से मुझे सेक्स की दावत दे रही हो।

मैं जब भी उससे मिलता तो कम ही बातचीत करता था, मगर जब वो बातें करती तो उसकी बातों में दोहरा अर्थ होता था। उसके चूतड़ और मम्मे

काफ़ी बड़े-बड़े और उठे हुए भारी माल हैं। शक्ल-सूरत से वो खूब सेक्सी और 23 साल से कम लगती है।

एक दिन वो मेरे पास आई और मुझसे दो हजार रुपए एडवांस मांगने लगी।

मैंने पूछा- अभी दो दिन पहले ही तुम्हें वेतन मिला है। फिर दो हजार रुपए एडवांस क्यों चाहिए?

वो बोली- मुझे कामना जी ने कहा है, आप मेरे हिसाब में जमा-खर्च कर लेना!

मैं समझ गया कि यह अब सुनन्दा को अपने बिस्तर पर लाने का संकेत है। कारखाने की मेट कामना असल में मेरी खास चहेती है और वो ही जरुरतमंदों को काम पर रखती है और धीरे से इन महिलाओं को मेरे साथ सोने के लिए राजी कर लेती है।

मैंने सुनन्दा से कहा- दो हजार रुपए एडवांस तुम अभी मुनीम बाबू से यह पर्ची देकर ले लो।

अगर कभी मौका मिले तो सुनन्दा की जवानी का फायदा जरूर उठाऊँगा, ये बात मैंने ही एक दिन कामना से कही थी।

अब सुनन्दा मेरी हो सकती है।

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तीन दिन बाद ही मैंने 5 दिन का मुम्बई टूर बना लिया। कामना ने मेरा और सुनन्दा का रिजेर्वेशन और होटल बुकिंग करवा दी थी। उसके घर में उसकी बूढ़ी माँ के अलावा कोई नहीं था।

‘कारखाने के काम से जाना पड़ेगा कामना जी के साथ..’ यह बोल कर वो आराम से मेरे साथ आ गई थी।

ट्रेन में ही मैंने उसके साथ बाथरूम में ले जाकर चूमा-चाटी शुरू कर दी थी।

होटल पहुँचते ही चाय पीने के बाद ‘हम अभी सोयेंगे..’ रूम सर्विस वेटर को डिस्टर्ब न करने की हिदायत मैंने दे दी।

उसके तुरंत बाद मैंने उसे अपने आगोश में ले लिया।

मैंने कहा- साल भर से तुम पर मेरी निगाह थी, अब बाँहों में आई हो। आज तो तुम्हारी बेदर्दी से चुदाई करूँगा।

सुनन्दा बोली- मैं भी दो साल से प्यासी हूँ, क्योंकि दो साल पहले मेरा पति से तलाक हो गया था।

मैंने कहा- ओह.. इसका मतलब कि दो साल से तुम्हारी चूत ने लंड का पानी नहीं पिया है!

वो सिर झुका कर बोली- आज तक आप जैसा कोई मिला ही नहीं!

मैं बोला- अगर मिल जाता तो?

वो बोली- तो मैं अपनी चूत को उसके लंड पर कुर्बान कर देती।

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मैं बोला- आओ, मेरा लंड तुम्हारी चूत पर न्यौछावर होने के लिये बेकरार है।

तुरंत उसे अपने बाँहों में ले लिया और उसके होंठ में होंठ डाल कर चुम्बन करने लगा।

मैंने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे लंड की तरफ़ बढ़ रहे थे और उसने पैंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को पकड़ लिया, फिर धीरे-धीरे सहलाने लगी।
मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं पैंट और अंडरवियर निकाल कर बिल्कुल नंगा हो गया।

अब वो फिर मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुँह में लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। कभी वो मेरे लंड के सुपारे  को चूसती, कभी जुबान से लंड को जड़ तक चाट रही थी।

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ऐसा उसने करीब 15 मिनट तक किया। आखिर में मुझसे रहा न गया और मैंने उसके मुँह में ढेर सारा वीर्य डाल दिया।

फिर हम दोनों सोफ़े पर आकर बैठ गए, मेरा लंड फिर सामान्य हो गया।

वो अब भी साड़ी पहने हुई थी। मैंने उसकी साड़ी में हाथ डाल कर जाँघों को सहलाया, फिर हाथ को उसके चूत पर ले गया।

उसकी पैंटी गीली हो गई थी, इतनी गीली थी, जैसे पानी से भिगोई हो। मैंने उसके पैंटी के ऊपर से ही चूत को मसलना शुरु किया। सुनन्दा बिन पानी के मछली की तरह तड़पने लगी।

फिर मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला। उसकी चूत फूली हुई और गरम बत्ती की तरह सुलग रही थी।

सुनन्दा काफ़ी उत्तेजित हो गई और सीत्कार करने लगी। उसका सर मेरे पैरों पर था, मेरे खड़े हुए लंड के पास, जो उसने पकड़ कर रखा था, वो अपनी जीभ निकाल कर मेरे तने हुए लंड के टोपे पर फ़ेरने लगी।

मैं काफ़ी उत्तेजित हो गया, मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत पर रख दिया और सहलाने लगा।

सुनन्दा छटपटाने लगी और जोश में आकर उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और लंड को अन्दर-बाहर करने लगी।

मैंने भी अपनी दो उँगलियाँ उसकी चूत में डाल दीं और अन्दर-बाहर करने लगा।

हम ऐसे ही थोड़ी देर मजे लेते रहे। हम दोनों काफ़ी उत्तेजित हो गए थे, सुनन्दा की चूत ने पानी छोड़ दिया, वो एक बार झड़ गई।

मैं उसकी चूत की दरार में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा, जिस कारण वो बेकरार होने लगी।

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अब मैंने उसे सोफ़े पर लिटा कर उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर सरकाया। उसकी पैंटी चूत के अमृत से तर-बतर थी। मैंने पैंटी को पकड़ा और जाँघों तक सरका दिया।

उसने खुद उठ कर अपनी पैंटी निकाल दी और फिर सोफ़े पर लेट गई। उसकी घुटने ऊपर थे और टाँगें फैली हुई थीं। उसकी सांवली चूत अब बिल्कुल साफ़-साफ़ दिखाई दे रही थी।

मैंने अपने एक उंगली उसकी चूत में डाली तो मुझे लगा मैंने आग को छू लिया हो क्योंकि उसकी चूत काफ़ी गरम हो चुकी थी।

मैं धीरे-धीरे अपनी ऊँगली उसके चूत में अन्दर-बाहर करने लगा, उसके मुँह से ‘आअह्ह ऊऊफ़् फ़फ़्फ़’ की आवाज निकल रही थी।

अब मैंने दो ऊँगलियां उसकी कोमल चूत में घुसाईं। चिकनी चूत होने से दोनों ऊँगलियां आराम से अन्दर-बाहर हो रही थी।

लगभग पचास-साठ बार मैंने अपनी ऊँगलियों से उसकी चूत की घिसाई की। इधर मेरा लंड भी फूल कर तन गया था। अब मैं उठ खड़ा हुआ और उसे लेकर बेड पर ले गया।

वो आँखें बंद किए मेरे अगले कदम का इन्तज़ार करने लगी। मैंने शर्ट निकाल कर उसकी साड़ी और पेटीकोट दोनों उतार दिए और हम बिल्कुल नंगे हो गए।

मैंने उसकी कमर पकड़ कर चित लिटा दिया और जितना हो सका उतनी उसकी टांगों को फैला दिया। फिर उसकी चूत की दरारों को फैला कर अपनी जीभ से चूत चाटने लगा। अपनी जीभ से उसकी चूत के एक-एक भाग चाट रहा था। वो बिल्कुल पूरी तरह से बेकरार हो चुकी थी।

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