कहा नौकरी देगा और दे दिया मुझको बच्चा चोद चोद कर-2

वो मेरे उरोज पीने में मस्त था। मेरा बदन अब गरम हो रहा था। सायद मैं भी चुदना चाहती थी। सरबजीत की पान मसाले की महक बहुत बास मार रही थी। पर मैं किसी तरह सह रही थी। वो मेरे गोल गोल उरोजों को खूब मस्ती से पी रहा था। मेरे काले काले बाल अब बिखर गए थे। अब मैं और भी जादा हसींन और खूबसूरत लग रही थी। चांडाल मुझको अपनी बीवी समझ् के पेल रहा था। उसके हाथ मेरी नँगी चिकनी पीठ पर यहाँ वहां साँप की तरह रेंग रहे थे। अब उसने मुझको करवट दिला दी। वो मेरी पीठ को चूमने, चाटने और काटने लगा। उसने साड़ी निकाल दी। फिर मेरे आसमानी रंग के पेटीकोट का नारा खोल दिया।

दोंस्तों, अब तो मैं बेआभरू होने वाली थी। किसी आक्रमड़कारी की तरह वो मेरे इलाके में घुसता ही जा रहा था। और उसका सिर्फ एक मकसद था मेरी योनि को निस्तोनाबूद कर देना। मेरी आसमानी पेटोकोट को उसने नीचे सरका दिया। अब मैं एक तरह से नँगी हो गयी थी। मैंने एक बहुत ही महीन कपड़े वाली उंडेरवीयर पहन रखी थी। सरबजीत मेरे टाँगों, जांघो, पूट्ठों, सब जगह हाथ लगाने लगा। फिराने लगा। मैं अपना बचाव ना कर पाई। क्योंकि मुझको नौकरी चाहिए थी।

एक पर जहाँ वो मेरे मस्त मस्त शहद से मीठे उरोज पी रहा था वहीँ अब उसका हाथ मेरी नाभि और पेड़ू पर आ गया था। मुझको अपनी बीवी की तरह चोद रहा था। मैंने कुछ नहीं कहा। अब उसका हाथ मेरी बुर पर आ गया। चड्डी के ऊपर से मेरी बुर पर वो हाथ लगाने लगा। मैंने उसको नही रोका। दोंस्तों, अब वो मेरी बुर पर ऊँगली करने लगा। जैसे कोई अपनी ऊँगली से पानी में रंग घोलता है उसी तरह मेरी बुर में वो अपनी वासना घोलने लगा। मैं तड़प उठी। आज ये चण्डाल मुझको छोड़ेगा नहीं। मैंने जान गयी थी।

मेरी योनि गीली होने लगी। साथ ही उसके स्पर्श से नरम हो गयी। मेरी चूत का रोम रोम उसके छुअन से जाग गया था। लगता था आज वो मुझको बहुत ज्यादा चोदेगा। फिर सरबजीत ने मेरे लाल सुर्ख होंठों पर अपने पान मसाले वाले होंठ रख दिए। और मेरे लब चूमने लगा। सरबजीत के बाँहों में मैं अब पूरी तरह से नँगी थी। पर चड्ढी ही मैंने पहन रखी थी। वो मेरे उरोजों को दबा रहा था। जहाँ मन करता था वहां दबा रहा था। उसका मुँह अब मेरे मुँह पर था। मैंने उसको एक तरह ढकेल दिया। वो हँस दिया।
रानी बेबी!! लगता है तुमको मेरे मुँह की पण मसाले की महक कुछ जमी नही! कोई बात नहीं! सरबजीत कुटिल हँसी हँसता हुआ बोला।

हिंदी सेक्स स्टोरी :  ऑफिस मेडम की प्यासी चूत

बकलोल ने मेरी चटक रंग की बैंगनी चड्ढी में अपना हाथ डाल दिया और नीचे खींचने लगा। जल्दी से मेरे दोनों हाथ मेरी योनि को ढकने के लिए दौड़े। क्योंकि कैसी भी औरत हो हमेशा अपनी इज्जत बचाने की कोसिस करती है। चाहे कैसे भी औरत हो। वो चण्डाल धीरे धीरे मेरी चड्ढी को नीचे और नीचे खिंचता चला गया। मैं कुछ ना कर सकी। मेरी गोरी गोरी मांसल जाँधे अब उसके समक्ष उजागर हो गयी। सर्म और हया से पानी पानी पानी हो गयी थी। मेरी चटख बैंगनी सूती चढ़ी मेरे गोल गोल बेहद खूबसूरत घुटनों में फस गयी। उसने मेरे घुटनों को जरा ऊपर किया और निकालने लगा।

दोंस्तों, मैं धीरे धीरे अब पूरी की पूरी बेपर्दा और नँगी होती जा रही थी। सरम और लाज तो बहुत आ रही थी, पर मैंने सोचा की देस में कितनी ही लड़कियाँ इस दौर से गुजरती है। कुछ पाने के लिए दुनिया में सायद बहुत कुछ खोना पड़ता है। हर चीज की इस दुनिया में कुछ कीमत होती है। कुछ भी मुफ्त का नहीं मिलता। मैंने अपने पर ये सोचकर काबू कर लिया। उधर सरबजीत मेरे ठोकने के लिये मरा जा रहा था। मेरी चड्ढी अब मेरे टखनों तक आ गयी थी। और आपको बता दूं कि मेरे टखने बहुत खूबसूरत है। अब चड्ढी मेरी एड़ियों में फँस गयी। सरबजीत ने मेरी ऐड़ी को ऊपर उठाया और चड्ढी निकाल दी। हाय! आज तो मैं बेपर्दा हो गयी। जिस योनि को मैंने हमेशा ढककर छुपाकर रखा था आज वो इस चालबाज के सामने आ ही गयी। जिस योनि को मैंने अपने मोहल्ले के लोफड़ लड़कों की गन्दी नजर से बचाकर रखा था आज वो इस चण्डाल के पास आ ही गयी। सरबजीत की आँखे चील सी मेरी योनि पर टिक गयी। बुर के ऊपरी भाग पर खूब झांटे थी।
आह्हः उसने मेरी झांटों के बीच अपनी नाक लाकर सूंघी। झांटों के अंदर मेरी छिपी हुई योनि की खुश्बु उसको आ गयी। वो पागल सा हो गया।

हिंदी सेक्स स्टोरी :  सर की ऑफिस में गार्गी की चूत

मुझे लड़कियों को झांटों में चोदना खूब पसंद है! वो हँसकर बोला
जितने हसींन मेरे मुँह के गुलाबी होंठ थे, उतने ही हसींन मेरी चूत के होंठ थे। सरबजीत ने अब मेरे दोनों पैर खोल दिए। अब उसको मेरी बुर साफ साफ दिख रही थी। वो चाटने लगा। मैं कसक गयी। उसकी नाक मेरी लम्बी लम्बी छल्लेदार झांटों को कहीं छिप गयी। मैंने उसको नही रोका। सायद कहीं ना कहीं मैं भी चुदवाना चाहती थी। वो मेरी बुर पीने लगा। मेरा हाथ उसके सर पर चला गया। मैं भी मचल मचलके उसके सिर पर हाथ फेरने लगी। सरबजीत बहुत बड़ा वाला बुर चटऊवल निकल गया दोंस्तों। मेरी बुर छोड़ने का नाम ही नही ले रहा था। चाटे जा रहा था, बस चाटे ही जा रहा था। मेरी बुर अब बेहने लगी थी। जैसे कढ़ाई में मक्खन गर्म होकर पिघलने लगता है ठीक वैसे ही हाल मेरी बुर का था दोंस्तों। सरबजीत ने एक लंबी पेंसिल उठा ली और मेरी बुर में अंदर बाहर करने लगा।
देख रानी!! इसो से मैं हर लड़की को तड़पता हूँ! वो मुझको पेंसिल दिखाकर बोला। मैंने कुछ नही कहा।

यह कहानी आप yachting4u.ru में पढ़ रहें हैं।

चण्डाल ने पूरी इतनी लंबी पेन्सिल मेरी योनि में पेल दी। और जल्दी जल्दी अंदर बाहर करने लगा। मैं दर्द से कराहने लगी। पेंसिल बहुत लंबी थी। मेरी योनि के हर हिस्से को टच कर रही थी। अब सरबजीत मेरे ऊपर लेट गया। लण्ड मेरी योनि के द्वार पर रखा लंड अंदर ढकेला। मैं तड़प गयी। लण्ड मेरी योनि में आक्रमड़कारी की तरह अंदर दाखिल हो गया। और मुझे और मेरी योनि को कूटने लगा। मैं कच्ची काली सी कसमसा गयी। सरबजीत मुझको मनचाहे तरीके से चोदने लगा। दोंस्तों, मैं कुछ ना कर सकी। एक ओर वो जहाँ मेरे उरोज पी रहा था, तो दूसरी ओर मेरी नाजक योनि को कुट रहा था। दोंस्तों, मैं अपनी इज्जत नही बचा पायी। मैं खुद को अब उस चण्डाल से चुदवा रही थी।

वो जल्दी जल्दी अपनी कमर चलाने लगा। मेरी बुर के परखच्चे उड़ गये। वो किसी मसीन की तरह मुझको ठोक रहा था। मैं कुछ ना कर सकी। उसके जोरदार धक्कों ने मेरे उरोज ऊपर नीचे हच हच करके हिल रहे थे। जैसे मैं जीप में बैठी हूँ और ड्राइवर गड्ढे खन्दक में जीप चला रहा था। सरबजीत ही इस समय मेरी सीट पर बैठा मेरी चूत चला रहा था। वो सच में मुझको इतनी देदर्दी से ले रहा था कि लग रहा था जैसे मैं किसी गड्ढे में जा रही हूँ।

हिंदी सेक्स स्टोरी :  प्रिंसपल से चुदवा कर मैंने अपने बेटे का एडमिसन करवाया

मुझको पेलते पेलते उसका चेहरा लाल हो गया। उसका बदन ऐंठ गया। आ आआहा वो करने लगा। माँ माँ मैं चुदते चुदते अपनी माँ को याद करने लगी। फिर कुछ सेकंड उस कलमुये से मुझको किसी मशीन की तरह रगड़ा। पर उसका चेहरा बिलकुल लाल हो गया। उसने मेरी बुर में अपना गरम गरम माल छोड़ दिया।

दोंस्तों, उस कलमुये ने मुझको इसी तरह 1 साल चोदा। एक से एक नए नए बहाने बनाये ,फिर कुछ दिनों पहले ही मुझको पता चला की जिस्को नौकरी मिलनी थी मिल गयी थी। मैं गुस्से से आग बबूला हो गयी। अगली सुबह ही मैं नगरपालिका दफ्तर गयी। मैंने सोच लिया था कि अगर सरबजीत ने आज कोई दूसरा बहाना बनाया तो मैं उसको सबसे सामने नँगा कर दूंगी। पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दूंगी। पर दोंस्तों जब मैं सुबह गयी तो पता चला की साले ने उत्तराखंड ट्रांसफर करवा लिया है।

मैंने अपनी आपबीती सभी को बताई। ये भी बताया कि नौकरी के नाम पर उसने 1 वर्ष तक मेरा यौन उत्पीड़न किया है। और अब मैं उसके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ।
रानी जी, सरबजीत ने आपको नहीं बहुत ही मासुम् लडकियो का यौन उत्पीड़न किया है! वहां के एक बाबू ने बताया। मैंने पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दी। जब पुलिस ने उत्तराखंड में छापा मारा तो वो कालमुआ भाग गया। अब आप ही बताये की मैं क्या करो। चण्डाल ने कहा था नौकरी देगा और दे दिया मुझको बच्चा। अब दोंस्तों, मैं इस बच्चे को लेकर कहाँ जाऊ।

आपने yachting4u.ru में अभी-अभी हॉट कहानी आनंद लिया लिया आनंद जारी रखने के लिए अगली कहानी पढ़े..
yachting4u.ru में कहानी पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद, हमारी कोशिश है की हम आपको बेहतर कंटेंट देते रहे!