मकान मालकिन बनी लंड की दीवानी-1

Makan malikin bani lund ki deewani-1

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम नमन है और घर पर सभी लोग मुझे प्यार से बंटी बुलाते हैं. दोस्तों आज में आप सभी को मेरी मकान मालकिन से चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ.

वैसे यह कुछ समय पुरानी बात है और में उस समय 12वीं में पढ़ता था. में जिस मकान में रहता था, उसकी मकान मालकिन की उम्र करीब 36 साल थी, लेकिन वो इतनी उम्र होने के बाद भी एक बहुत ही सेक्सी औरत थी और में उन्हे आंटी कहकर बुलाता था और उन आंटी का नाम रोमा था और में उनकी सुन्दरता का दीवाना था.

मुझे जब भी मौका मिलता था, में उनसे बात ज़रूर करता और इसी बहाने मुझे उनके गोरे गोरे बूब्स को निहारने का मौका मिलता था और में आंटी के बूब्स को देखकर एकदम पागल हो जाता था, क्योंकि उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े थे और साड़ी के आँचल से उनकी एक झलक ही मुझे मिल जाए तो में यही सोचकर उनसे बात करता था. फिर में बातों के बीच में उनके बड़े साईज़ के बूब्स, गांड को देखता रहता और शायद धीरे-धीरे इस बात का अंदाजा आंटी को भी लग गया था कि में उनके जिस्म को घूरता रहता हूँ.

फिर वो भी अब कभी कभी अपने पल्लू को जानबूझ कर गिरा देती और गहरे गले के ब्लाउज से गोल गोल बूब्स दिख जाते, लेकिन सबसे अच्छी बात यह थी कि आंटी सेक्सी तरीके से कपड़े पहनती थी, जैसे कि जालीदार गहरे गले के ब्लाउज, जालीदार ब्लाउज से उनकी ब्रा भी साफ साफ दिखती थी और उनकी साड़ी भी नाभि से बहुत नीचे हुआ करती थी और में उनके अंग अंग का दीवाना था.

उनके रसीले होंठ, मदमस्त कर देने वाले बूब्स, नाभि, गांड और वो सब कुछ जो उनमे मौजूद था, वो मेरी रातो की रानी थी और में जब भी मुठ मारा करता था तो में उन्ही के बारे में सोचता था और में किस्मत वाला था कि मुझे रोमा आंटी के घर में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. उनके पति जब ऑफिस चले जाते थे, तब वो घर पर अकेले हुआ करती थी और ऐसे में जब मेरी उनसे मुलाकात हो जाती, तब में मौके का फ़ायदा उठाकर बहुत देर बातें करता था. उन पर क्या जवानी छाई हुई थी? 36 की उम्र होने के बाद भी वो एक सेक्स बम थी. मेरा लंड हर रोज उनके बारे में सोच सोचकर पानी छोड़ दिया करता था.

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फिर एक बार मेरे माता-पिता दस दिन के लिए हमारे एक करीबी रिश्तेदार के घर दूसरे शहर गये हुए थे और मुझे खाना बनाना नहीं आता था, इसलिए आंटी ने कहा कि में उन्ही के घर पर खाना खा लिया करूँ. फिर में उनकी यह बात सुनकर बहुत खुश था और वैसे भी इतना अच्छा मौका कौन गँवाना चाहेगा, तो में 8 बजे उनके घर जाता था और खाना खाने के बाद वापस अपने कमरे में चला आता था, उस वक़्त तक अंकल भी घर पर ही होते थे और फिर दो दिन बाद अंकल की कंपनी ने उनको मीटिंग के लिए दिल्ली भेज दिया और अब आंटी घर पर बिल्कुल अकेली हो गयी.

में उस रात को भी हर रात की तरह 8 बजे आंटी के घर पहुँचा, आंटी ने दरवाज़ा खोला और हर बार की तरह वो सेक्सी गहरे गले का ब्लाउज और जालीदार साड़ी में थी और में उस गहरे गले के ब्लाउज में से उनके सुंदर बूब्स को निहार रहा था, वो जब मूड कर जाती तो में उनके जालीदार ब्लाउज से उनकी काली ब्रा और पीठ को देखता, दोस्तों वाह क्या जिस्म था और मेरा तो मन कर रहा था कि उन्हे पकड़ लूँ और पूरे बदन को बारी बारी से चूमूं और उनकी गांड भी एकदम भरी पूरी थी और में सोचता था कि ऐसी गांड को मारने में कितना मज़ा आएगा, लेकिन आज तक मैंने किसी लड़की को नहीं चोदा था, इसलिए में इन सब बातों को केवल सोचता ही था.

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मुझे आंटी बहुत खुश नज़र आ रही थी, शायद उनको भी मेरे दिल की इच्छा का पता चल गया था और वो भी मेरे साथ बैठकर खाना खाने लगी और फिर खाना खाते-खाते अचानक से उनका पल्लू नीचे सरक गया और मुझे उनके बड़े-बड़े बूब्स दिखने लगे और में तिरछी नजर से उनको देखता रहा, आंटी को भी मज़ा आ रहा था और उन्होंने पल्लू को नीचे गिराकर छोड़ दिया. फिर वो कहने लगी कि मुझे यह साड़ी बहुत परेशान करती है, मेरा तो जी करता है कि में इसे उतार दूँ. एक तो इतनी ज़्यादा गर्मी और ऊपर से यह साड़ी, यह कहते हुए उन्होंने साड़ी को निकाल दिया और अब वो ठीक मेरे सामने सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज में थी और हमेशा की तरह उनका पेटीकोट नाभि से बहुत नीचे था और आंटी अब मुझ पर ज़ुल्म ढा रही थी, क्योंकि उनका अधनंगा जिस्म मेरी आँखों के सामने था और फिर आंटी अब दोबारा से खाना खाने बैठ गयी.

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खाना खा लेने के कुछ देर बाद वो मुझसे बोली कि बंटी मुझे रात को अकेले में डर लगता है तो जब तक तुम्हारे अंकल नहीं आ जाते, तुम मेरे घर पर ही रात को रुक जाया करो. फिर में उनकी यह बात सुनकर मन ही मन खुशी से झूम उठा और में अपनी कुछ किताबें आंटी के घर ले आया और में सोच रहा था कि शायद मुझे दूसरे कमरे में सोना होगा और इसलिए मैंने किताबों को आंटी के रूम में ना रखकर पास वाले कमरे में रख दिया.

फिर आंटी ने कहा कि क्यों बंटी मेरे साथ सोने में तुम्हे क्या कोई आपत्ति है? प्लीज तुम मेरे साथ ही सो जाओ ना, तुम अपनी पढ़ाई करना और में भी वहीं सो जाऊंगी और जब तुम्हारा जी चाहे तो तुम भी वहीं सो जाना. फिर में आंटी के पास में सोने के ख्याल से बिल्कुल पागल हो रहा था, क्योंकि मैंने आज तक जिससे केवल बात की थी, मुझे आज उनके साथ सोने का मौका भी मिल रहा था और उस समय गर्मी बहुत ज़्यादा थी, इसलिए आंटी ने मुझसे कहा कि बंटी तुम अपनी शर्ट उतार दो. तुम इतनी गर्मी में केवल पेंट में भी रह सकते हो और में तो सोते वक़्त ब्लाउज भी नहीं पहनती, केवल ब्रा और पेटीकोट ही पहनती हूँ.

अचानक से आंटी के मुँह से ‘ब्रा’ जैसे शब्द सुनकर में बहुत रोमांचित हो गया और फिर क्या था, वो अपना ब्लाउज खोलने लगी और वो जैसे जैसे हुक खोलती जाती और उनके उभरे हुए बूब्स बाहर आ जाते. फिर आख़िर में उन्होंने ब्लाउज खोल दिया और उसे एक तरफ फेंक दिया, ज़ालिम आंटी के बड़े बड़े कसे हुए बूब्स उस काली ब्रा में दबे हुए थे, उन्हे देखकर मेरा मन कर रहा था कि उनके बूब्स को मसल दूँ और जीभ से चाट लूँ और चूस लूँ, लेकिन मुझे संयम बनाए रखना था.

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फिर जैसे तैसे मैंने पढ़ाई में ध्यान लगाना शुरू किया और थोड़ी ही देर बाद आंटी बोली कि बंटी मेरी कमर में दर्द हो रहा है, अगर तुम बुरा ना मानो तो तेल से इसकी मालिश कर दो? तो यह बात सुनकर मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. फिर मैंने लंड को ठीक किया और आंटी के करीब पहुँच गया.

आंटी बोली कि तुम बुरा मत मानना, में तुमसे मालिश करवा रहीं हूँ, क्या करें दर्द इतना ज़्यादा हो गया है. फिर मैंने कहा कि इसमें बुरा मानने वाली क्या बात है, आपको जो भी काम हो करवाना है करवा लीजिए, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है. फिर क्या था? मैंने आंटी की कमर की मालिश शुरू कर दी और उनके मक्खन की तरह कोमल बदन पर मेरे हाथ घूमने लगे और मेरा लंड खड़ा होने लगा.

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