सामूहिक चूत चुदाई का आनंद 3

Samuhik chut chudai ka anand-3

संजय भी बोला – बलदीप चल दिखा देते हैं इन दो पैसे की रंडियों को अपनी मर्दानगी… इन सालियाँ की बदल-बदल कर बहन चोदते हैं… बोलो साली रांडो… ऐसी मर्दानगी दिखाएँगे की अपने घर की सारी औरतों को नंगा कर के लाओगी हम दोनों से चुदवाने…

रजनी बोली – जो… मर्जी करो… जैसे मर्ज़ी करो… बस हम छिनालों की चूत की आग बुझाओ… बदल-बदल कर क्या, दोनों एक ही चूत में दोनों लण्ड घुसा दो… रंडिया बना दो, हम दोनों को… नंगा करके चोदो, बीच सड़क पर… गाण्ड फाड़ दो हम दो बहनों की… आहह… आह… चोद… चोद, चोद… उम्म्म्मममममममममममममम… आ आ आ आ आ आ… ऐसे ही… ऐसे ही…

इस तरह चारों अब पूरे जोर शोर से चुदाई कर रहे थे और सभी बेहद गन्दी-गन्दी गालियाँ देते हुए एक साथ चुदाई का मज़ा ले रहे थे…

अब दीपिका और रजनी ने एक-दूसरी को जोर से बाहों में ले लिया और दोनों अपने-अपने मम्मों को एक-दूसरी के मम्मों के साथ रगड़ने लगीं।

अब संजय और बलदीप भी उन दोनों के पीछे आ गए और दोनों एक साथ दोनों की गाण्ड की तरफ से होकर उनकी चूतें चोद रहे थे।

तभी रजनी की चूत से पानी टपकने लगा, जैसे ही रजनी की चूत से पहली धार बलदीप के लौड़े पर गिरी, तो बलदीप और संजय ने पहले बनाये प्लान के अनुसार अपनी-अपनी चूतें बदल लीं और बलदीप ने जैसे ही अपना लौड़ा रजनी की चूत से निकला, तो संजय ने तुरंत उसी जगह पर अपना लण्ड डाल दिया, जिस से रजनी और ज्यादा मस्त हो गई और उसकी दूसरी धार संजय के लौड़े पर गिरी…

इधर बलदीप ने दीपिका की चूत की कमांड संभाल ली थी, बलदीप दीपिका की चूत को चोदते हुए दोनों के मम्मों को भी दबा रहा था।

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रजनी की चूत से पानी की धारों का बहाव बहुत तेज हो गया था और वो सिसक भी रही थी। इधर दीपिका की हालत भी कुछ ऐसी ही थी…

दोनों लड़कियाँ सामूहिक चुदाई का भरपूर मज़ा ले रही थीं। अब तक दीपिका की चूत ने भी अपनी धार छोड़ दी।

जैसे ही दीपिका की चूत से पानी निकला तो बलदीप ने उसे कस कर पकड़ लिया।

बलदीप बोलने लगा – ले साली, अपनी माँ चुदवा अब… कुतिया… ले रंडी… सारी आग निकालते हैं, आज हम दोनों मर्द तुम्हारी चुड़ाकड़ चूतों का… रंडी की औलाद, तुझे तो कोठे पर बैठना चाहिए… चुद अब दो-दो मर्दों के बीच साली… तेरी माँ की चूत, बहन की लौड़ी… ले… ले… ले… चुदवा ले आज अपनी राण्ड चूत को… बोल अभी भी कम लग रहा हो तो और लण्डों का इंतज़ाम कराएँ, तुम्हारी चूतों के लिए…

इधर कुछ ऐसे ही शब्द संजय भी रजनी को बोल रहा था – आह!!! कुतिया… ले चुद… चुद साली… चुदकड़ रंडियों देखो, तुम्हारी चूतों की माँ चुद रही है… आह्ह… लो और लो…

रजनी तो पहले भी बहुत बार चुदवा चुकी थी, इसलिए वो काफी खुली हुई थी, वो भी बोलने लगी – आह… आह्ह… उह… चोदो सालों… चोदो हमें… दीपिका चुदवा ले आज, इन दो लौंडों से कुतिया बन कर… छोड़ दे शरम… निकाल अपने अंदर की रंडी को बाहर… चुदवा ले छीनाल… आओ सालों चोदो हमें… और जोर से… हाँ… ऐसे ही… चोद दे… तेरी माँ की चूत… बिठा दे हम दोनों रंडियों को कोठे पर… हम दोनों बहनें तुम दोनों के सामने नंगी होकर दूसरे लण्ड से अपनी चूत चुदवायेंगी… तुम्हें बहुत मज़ा आएगा… नंगा कर डालना हमें बीच सड़क पर… आते-जाते सब से चुदवाना… चोदो… चोदो… चोदो… तुम्हारी माँ की चू त त त त… बहन की चू त त त… चोदो हम रंडियों को… आह… आ… आ आ आ… उम्म्म्ममममम… अपने… लंडो की धारों का रस हमें पिलाना सालों… आ आ आ… आ जाओ पिला दो अजाओ… अपनी जवानी का रस आह… आ… हाँ… हाँ… हाँ…

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दीपिका, तू भी आज लूट ले इन की जवानी के मज़े… साली, देख हमें एक साथ चुदाई का मज़ा मिल रहा है आज… हर किसी को यह जन्नत नसीब नहीं होती… माँ चोद के रख दी है, इन बहन के लौड़ों ने… ध्यान रखना कुत्तों, चूत के अंदर अपना माल मत गिरना… तुम्हारी माँ चोद दूँगी, नहीं तो… आ आ आ आ आ आ… ह्म्म्म्म… हाँ… हाँ… तेरी माँ को कुत्ता चोदे… हरामी… ज़ोर से कर… उफ़!!! निकाल अब… आहह… आह निकाल ना मादर-चोद…

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इस तरह अब उनकी चुदाई अपने आखरी पड़ाव पर पहुँच चुकी थी, तभी बलदीप ने दीपिका की चूत से लण्ड निकाला और उसे नीचे बिठा कर अपना लौड़ा उसके मुँह में दे दिया…

इधर ये देख कर रजनी भी ज़ल्दी से नीचे बैठ गई, अब रजनी ने संजय का लौड़ा अपने मुँह में ले लिया था। तभी बलदीप ने एक हुंकार भरी और बोला – साली रंडी, पी मेरी कुतिया…

लण्ड की सीधी धार दीपिका के मुँह में छोड़ दी और दीपिका के मुँह से लण्ड का रस बाहर तक टपकने लगा…

इधर रजनी ने संजय के लण्ड को जोर-जोर से हिलाना जारी रखा, जिससे संजय के लण्ड ने भी पानी छोड़ दिया, जो दोनों के मुँह के ऊपर गिरा…

संजय के लण्ड की बौछार दोनों के मुँह पर बारिश की तरह बरस रही थी, इधर रजनी ने अब दीपिका के मुँह से बलदीप का लौड़ा पकड कर अपने मुँह में ले लिया और झड रहे लंडों का रस दोनों के मम्मों पर भी गिर रहा था।

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रजनी भी अब बलदीप के लण्ड का रस पी रही थी, ऊपर से संजय का लण्ड भी अपनी धार गिराए जा रहा था।

इधर दीपिका के मुँह से लण्ड का रस बाहर टपकने लगा था, ये देख कर रजनी ने बलदीप का झड चूका लण्ड छोड़ा और दीपिका के मुँह को अपने मुँह में ले लिया और उसकी जीभ के साथ अपनी जीभ लगा कर उसके मुँह से अंदर से बलदीप के लण्ड का रस अपने मुँह में ट्रांसफर करने लगी।

फिर कुछ देर वो ऐसे ही बैठी रहीं और फिर उठ खड़ी हुईं। इधर बलदीप और संजय भी चुदाई के मज़े से पूरी तरह संतुष्ट लग रहे थे।

अब उन्होंने एक दूसरे को अपनी पहली सामूहिक चुदाई की बधाई दी और नए बर्ष में नए सबंधों के साथ मज़ा लेते रहने का वादा किया और नए वर्ष की भी बहुत बहुत बधाई दी।

मेरी तरफ से भी नया वर्ष मुबारक सभी पाठकों को…

दोस्तों, बेशक मेरी कहानियाँ देर से आती हैं परन्तु में आपको भूलता नहीं हूँ…

आपको मेरी कहानियाँ मिलती जरूर रहा करेंगी…

आपका दोस्त
रवि

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