बैंड, बाजा और चुदाई: भाग 2

Band, Baja aur chudai-2

बैंड, बाजा और चुदाई: भाग 1 

और हरीश जी मेरी पेंटी को एक दम से नीचे सरका दिए और मेरी गांड की दरार को खोल कर अपना मुँह लगा दिए और मैं सिसक उठी ,

“उउउहह… ईईईसस… ईईईईईससससस”

हरीश जी मुँह लगते ही मेरी गांड की छेद को चाटने लागे , जैसे सालों बाद प्यासे को कुंवा मिल गया हो , हरीश जी इतने जोशीले जैसे चाट रहे थे , मनो वो बारिशों से इंतज़ार कर रहे थे ।
हरीश जी ने मेरी गांड को करीबन १५ मिन्ट तक चाटते रहे और मैं १५ मिन्ट में पूरी मदमस्त हो चुकी थी , हरीश जी उठे और अपने कप्पड़े उतरने लगे और नंगा होते ही उन्होंने अपने लंड पर थूक लगते हुए , मेरी बूर में लंड सेट किये ।
और अपने गर्म लंड को सीधा अंदर पेल दिए और मैं ,”अअअहहह … ईईईसस…अअहहह”,करने लगी और हरीश जी मेरी कमर पकड़ कर धक्के पे धक्के देने लग गए ।
उनका लंड मुझे पहले से ज्यादा मोटा लग रही थी मुझे और मुझे मज़ा और भी ज़्यादा आ रही थी,हरीश जी मुझे चोदते हुए , कहने लगे की ,

हरीश,”मस्त टाइट बूर हैं तेरी सुषमा , स्कूल के दिनों जैसे थी ।”
मैं ,”अअआह!… ईईईसस… नहीं! हरीश जी आपका लंड मोटा और बड़ा हो गया हैं, ईईईसस…मेरी बूर फाड़ देगी आह!…आह!”
हरीश ,”ईईईसस… मज़ा आ रहा सुषमा ,क्या मस्त गर्म बूर हैं तेरी ।

हरीश जी मेरी बूर में अपना लंड पेले जा रहे थे और बाथरूम में , ” थप–थप ” और मेरी सिसकने की आवाज़ गूंज रही थी , ऐसा लग रहा था , जैसे हरीश जी मेरी बूर को पेल–पेल कर लस–लस कर देंगे ।
25 मिन्ट तक लगातार हरीश जी मेरी बूर चोदते रहे और फिर मैं उनके तरफ मुड़ी और उनके लंड को देखि जिसमें मेरी सफ़ेद मुठ लगी हुई थी , मैं उनके लंड को पकड़ी और हरीश जी को बोली ,

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मैं ,” हरीश जी , आज आपके लंड को देख बड़ा प्यार आ रहा हैं ।”
हरीश जी,”तो दिखाओ अपना प्यार सुषमा , मैं भी तो देखूं कितना प्यार हैं ।”
मैं मुस्कुराते हुए घुटनों पर आ गई और हरीश जी के काळा मोठे लंड के गुलाबी बड़े टोपा को मुँह में लेकर चूसने लग गई ,

मैं,” उउउममम…उउमम ईईईसस…उउमम!”
हरीश जी मेरे बालों को पकड़ते हुए कहने लाग,”अअअहहह… ईईईसस सुषमा , क्या मस्त चुस्ती हैं रे तू ,आह!… ईईईसस मज़ा आ रहा हैं।”

मैं हरीश जी के टोपा को चूसते–चूसते पुरे लंड को चूसने लग गई और हरीश जी को बहुत आनंद आ रहा था और मुझे हरीश जी के लंड को चूस कर और भी ज्यादा आनंद आ रही थी ।
हरीश जी का लंड मेरी थूक से लटपट होने लगी थी और मैं उनके लंड को लटपट करने के बाद उनके अंडकोष को चूसने लगी , हरीश जी और मस्त हो गए और कहने लगी ,

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हरीश जी ,” आह! ईईईसस… चोदी तुम तो पहले से और भी ज्यादा भांडवी हो गई हो , मेरा जान निकल कर ही दम लो अअहहह।”
मैं मुस्कुराते हुए बोली ,” जान नहीं आपका मुठ निकलूंगी, उउउममम… उउउममम…सलुपपप…सलुपपप ।”

मैं काफी देर तक हरीश जी के अंडकोष और लंड को चुस्ती रही और फिर , हरीश जी ने मुझे एक दम से गोद में उठा लिया और अपने लंड को मेरी बूर में सेट कर के घुसा दिया ।

मैं,” अअअहहह… ईईईसस”
हरीश जी ,” तुझे उठा कर चोदने का अलग ही मज़ा हैं ।”

और हरीश जी मुझे उछाल–उछाल कर टपा–टप–टपा–टप चोदने लगे उनका अंडकोष मेरी गांड से टकरा रही थी और टपा–टप–टपा–टप की आवाज़ आ रही थी , तभी किसीने गाना बाजा दिया वो भी पुरे जोर से ।
और तब मैं खूब ज़ोर–ज़ोर से सिसक रही थी , हरीश जी ने मुझे बाथरूम से बहार लेकर बैडरूम में लेकर गए वहां उन्होंने ने मुझे १५ मिन्ट तक उठा कर खूब चोदते रहे ।”
और फिर मुझे बिस्तर पर सुला दिए और मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पर लाद दिए और मेरी झांटों वाली बूर को चाटने लगे मैं और भी मदमस्त और मदहोश होने लगी ।
हरीश जी मेरी बूर चाटने के बाद अपने लंड में थूक लगा कर मेरी बूर में घुसा दिए और मुझे मसलते हुए मेरी बूर को चोदने लगे , हरीश जी का लंड मेरी बूर की साडी गर्मी निकल रही थी ।
मतलब मेरी मुठ और वो सारा मुठ मेरी गांड की दरार पर जा रही थी , मैं अच्छे से महसूस कर पा रही थी , हरीश जी मुझे कहने लगे ,

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हरीश जी ,” आह! ईईईसस… सुषमा , तेरी बूर बहुत मस्त हैं चोदी , लंड निकलने का मान नहीं कर रहा हैं ।”
मैं ,”  आह!…आह!…ईईईसस… निकालिये वरना मेरी बूर फट जाएगी आह!…आह!…।”

और तभी हरीश जी ने मेरी बूर में , ४–५ ज़ोर–ज़ोर के झटके दिए और लंड निकल कर अपना गर्म खट्टा मुठ छोड़ दिए , उनका मुठ मेरी झांटों पर , पेट पर और मेरी चूचियों पर गिरी और कुछ मेरी होंठ पर ।
उनका मुठ बहुत ही ज्यादा निकल आया था , जिससे वो कमज़ोर होने लगे और पास में लेट गए , हम दोनों गहरी सांसे ले रहे थे और पसीने से लटपट हो चुके थे ।
और तब मैं हरीश जी को नमिता की प्लानिंग के बारे बताने की सोची , क्यूंकि हरीश जी थक चुके थे और वो मेरी बात को अच्छे से समझ सकते थे ,तो मैं हरीश जी को बोली की ,

मैं,”हरीश जी मुझे आपको कुछ बताना हैं ।”
हरीश जी ,” हाँ , बोलो सुषमा क्या बताना चाहती हो तुम ।”
मैं,”हरीश जी नमिता इस शादी से खुश नहीं हैं ।”
हरीश जी,”तो क्या हुआ , इतने बड़े घर के लड़के से शादी हो रही हैं और उसकी ख़ुशी इसमें हैं की वो चुप–चाप शादी करले ।”
मैं ,” हाँ , मैं उसे समझाई भी , पर वो किसी और के साथ भागने की तैयारी में हैं ।”
हरीश जी ,” क्या? किसके साथ? , तुम बस उस भोसड़ीवाले का नाम बताओ अभी ख़तम कर दूंगा।”
मैं,”नहीं–नहीं अभी आप कुछ मत कीजिये , वो जिस रात आएगा तब आप उसके साथ जो करना हैं कीजिएगा , बस नमिता को पता नहीं चलना चाहिए ।”
हरीश जी,” अच्छा ठीक हैं , तुम बोल रही हो इसीलिए मैं अभी कुछ नहीं करूँगा , बस मुझे पल–पल की खबर देती रहना हमारे इज़्ज़त का सवाल हैं ।”
मैं,”जी ज़रूर हरीश जी , ठीक हैं मैं अभी नहाने जाती हूँ ।”
हरीश जी,”मैं भी चलता हूँ तुम्हारे साथ ।”

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और फिर मैं और हरीश जी साथ में नहाने गए और फिर हरीश जी चुपके से मेरे कमरे से निकल गए , मैं अपने कमरे से बहार आई तो देखि की और भी मेहमान आये हुए थे ।
नमिता के मौसा , मौसी जी और भी रिस्तेदार , तो मैं उन सब से मिलने गई और फिर मैं नमिता के मामा जी चड्डा से मिली जो की अकेले आये हुए थे और हरीश जी का उनसे बिलकुल भी नहीं जमता था ।
पर चड्डा जी भी हरीश जी के जैसे थे , एक दम ठरकी , जब मैं नमिता के भईया के शादी में आई थी तब , चड्डा जी ने मुझे पटना चाहते थे , पर मैं उनसे बच निकली थी ।
खैर बाकि की बात मैं भाग 3 में बताउंगी , तब तक के लिए मज़े करते रहिये टाटा , गुड बाय ।

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