हिंदी सेक्स स्टोरी

खूबसूरत औरत की इच्छा-2

KhoobSurat Aurat Ki Chudayi Ki Ichha-2

फ़िर वो मेरा हाथ पकड़ कर ले गई, बैड पर बैठाया और मेरे पास बैठ कर केक काट कर उसका एक टुकड़ा उठा कर मुझे खिलाने लगी, मैंने उस टुकड़े में से आधा खाया और आधा उसके हाथ से अपने हाथ में ले लिया और उसके मुहँ की तरफ़ बढ़ाया।

उसने अपना मुँह थोड़ा सा खोला और वो टुकड़ा अपने मुँह में ले लिया और नीचे की तरफ़ मुँह करके खाने लगी। केक का टुकड़ा थोड़ा बड़ा था तो कुछ केक उसके होंठों पर लग गया।
अब आप सब लोग तो जानते ही हो कि हम दिल्ली के लड़के फ़िल्में देखकर ही बड़े होते हैं तो इस समय मुझे भी एक फ़िल्मी सीन याद आया और मैंने अपना हाथ उसकी ठोड़ी को लगाया और थोड़ा सा ऊपर उठा कर अपनी तरफ़ किया, फ़िल्मी स्टाइल में अपने होंठों को उसके होंठों की तरफ़ बढ़ाया, पर उसने शायद शरमा कर अपनी नजरें नीचे झुका ली।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर टिका दिये।
मेरी इस हरकत का उसने कोई विरोध नहीं किया जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई, उसने मेरा कोई विरोध तो नहीं किया पर मेरा साथ भी नहीं दिया बस ऐसे ही बैठी रही।
मैं करीब 15 मिनट तक उसके होंठों को चूसता रहा, उसकी गरम-गरम साँसें मुझे महसूस हो रही थी, फ़िर वो उठ खड़ी हुई, मैं भी उसके साथ खड़ा हुआ और उसके पीछे से उसकी कमर पर हाथ फ़ेरा और उसकी कमर को एक बार चूम कर उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ कर हटाने लगा।

साड़ी उतार कर उसे बैड पर साइड में रख दिया और उसे अपने हाथों में उठाकर बैड पर बैठाया। उसने अपनी बाँहें मेरे गले में डाल ली। वो एक नई दुल्हन की तरह बैड पर बैठ गई, उसने अन्दर काला ब्लाऊज और काला पेटीकोट पहना हुआ था जिसमें उसका गोरा बदन कोयले की खान में हीरे की तरह चमक रहा था।
फ़िर मैं बैड पर उसके पीछे जाकर उसे अपने दोनों पैरों के बीच में लेकर बैठ गया, फ़िर मैंने अपने हाथ उसके खुले बालों में डाले और उन्हें आगे की तरफ़ करते हुये उसकी पीठ पर हाथ फ़ेरने लगा और चूमने लगा और उसका ब्लाऊज़ पीछे से खोलने लगा, उसका ब्लाऊज़ खोलकर मैंने उतारा और साईड में रख दिया, ब्रा ना पहनी होने से अब उसका बदन ऊपर से बिल्कुल नंगा मेरी आँखों के सामने था जो एकदम शीशे की तरह साफ़ चमक रहा था।
फ़िर मैंने अपनी कमीज उतारी और अपने हाथ उसके हाथों के नीचे से ले जाकर उसकी चूचियों पर रख दिये और धीरे-धीरे मसलने लगा और अपने होंठों से उसके गले को चूमने लगा।

क्या बताऊँ यारो ! ऐसा लग रहा था जैसे मेरे हाथों में मक्खन हो ! और उसके गले को चूमते-चूमते में एक अजीब सी मदहोशी में खो गया जिसके कारण मुझे पता ही नहीं चला कि ऐसा करते मुझे कितनी देर हो गई थी।
मुझे तो तब होश आया जब उसने अपने हाथ मेरे हाथों पर रखे जो उसकी चूचियों को मसल रहे थे। उसने मेरे हाथों पर अपने हाथों का दबाव बढ़ाया, यह उसकी तरफ़ से पहली हरकत थी क्योंकि अब तक ना तो उसने मेरी किसी हरकत का विरोध किया था और ना ही अपनी तरफ़ से कोई हरकत की थी, बस जैसे मैं उससे करवा रहा था वैसा वो कर रही थी।
उसकी इस हरकत पर मेरी आँख खुली तो देखा कि वो अपनी चूचियों को दबवाने में मेरा पूरा साथ दे रही थी और अपना मुँह ऊपर कर के सिसकारियाँ ले रही थी।

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फ़िर मैंने उसके कान के पास अपना मुँह ले जाकर कहा- आई लव यू जान !

इतना सुनकर उसने अपनी हाथों की पकड़ ढीली की, अपनी आँखें खोलकर मेरी तरफ़ देखा और मेरे होंठों पर अपने होंठों से चूमा और कहा- आई लव यु टू जान !
और मुझसे लिपट गई और मेरी छाती और गले को चूमने लगी।
फ़िर मैंने उसे लिटाया और अपने होंठों से उसके होंठों को चूमने लगा और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।

अबकी बार उसने मेरा खुलकर साथ दिया, उसने अपनी बाँहें मेरे गले में डाल दी और मुझे दुगने उत्साह से चूमने लगी। अब तो वो अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर तक जितना ले जा सकती थी ले जा रही थी और कभी मेरी जीभ को अपने होंठों से पकड़ कर अपने मुँह के अन्दर ले जाती। सच मानो दोस्तो, इस समय मुझे वो आनन्द मिल रहा था कि मानो बस यह सारी दुनिया यहीं रुक जाये !
इन पलों के सामने स्वर्ग का आनन्द भी कम था।

उसके बाद में उसके होंठों को छोड़कर धीरे-धीरे उसकी चूचियों की तरफ़ बढ़ा, मैंने उसकी चूचियों को गौर से देखा वो फ़ूल कर काफ़ी बड़ी हो गई, जिस कारण उसकी चूचियों के भूरे घेरों के एक-एक रोये के साथ-साथ उनकी घुण्डियाँ भी बिल्कुल नुकीली हो गई।

मैंने उसकी एक घुन्डी को अपने हाथ मैं और दूसरी को अपने होंठों के बीच में लेकर उस पर धीरे-धीरे जीभ फ़िराई।

मेरी इस हरकत से तो जैसे उसको करंट लग गया हो और उसके हाथ-पैर बुरी तरह से कँपकंपाने लगे जो उससे सहन नहीं हुआ और उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया, मैंने उसकी दोनों चूचियों को बारी-बारी से चूसा और उसने मेरा पूरा साथ दिया।

अब धीरे-धीरे मैं उसको चूमता हुआ नीचे की तरफ़ बढ़ा और मैंने एक ही झटके में उसका पेटीकोट निकाल कर उससे अलग कर दिया, जैसा मुझे यकीन था उसने काली रंग की जालीदार चड्डी पहनी थी, मैं यह देखकर हैरान था कि उसकी चड्डी पूरी तरह से उसकी चूत के रस में भीगी हुई थी और कमरे की लाल रोशनी में गजब की चमक रही थी।

अब मेरी हालत बहुत बुरी होती जा रही थी, मुझसे रुका नहीं जा रहा था, मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी। उस नजारे को बयान करने के लिये तो मेरे पास शब्द ही नहीं हैं, और एक बात मैं अपने अब तक के तर्जुबे से यह तो बोल सकता हूँ कि उसकी शादी तो जरुर हुई, पर वो अब तक ज्यादा नहीं चुदी थी, उसकी चूत के दोनों होंठ आपस में चिपके हुये थे बस उन के बीच से हल्का-ह्ल्का उसकी चूत का रस निकल रहा था जिससे उसकी चूत पूरी तरह से भीग चुकी थी जो बिल्कुल हीरे की तरह चमक रही थी, उसे देख कर लग रहा था जैसे शायद उसने आज ही उसकी सफ़ाई की है।

मैंने उसको बैड के एक साइड किया और उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया रखकर खुद बैड से नीचे घुटनों के बल बैठकर उसकी दोनों टांगें अपने कन्धों पर रख ली, अब उसकी चूत मेरे मुँह से बस कुछ ही दूरी पर थी जिसके कारण उसकी चूत की खुशबू सूंघकर मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और फ़िर उसको एक बार चूमकर उसकी चूत के होंठों पर अपने होंठ टिका दिये, मैंने अपने मुँह का दबाव बनाते हुये अपनी जीभ उसके चूत के होंठों के बीच अन्दर डाल दी और उसकी चूत का रसपान करने लगा।

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मैंने अभी अपनी जीभ दो-चार बार ही अन्दर-बाहर की थी कि उसने अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाव बढ़ाया और अपने चूतड़ उठा-उठा कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी और इसी दौरान उसका शरीर बुरी तरह से अकड़ा जिसके कारण वो अपने सिर को इधर-उधर पटकने लगी, फ़िर एकदम से उसके अन्दर का ज्वालामुखी फ़ूट पड़ा।

मैंने अभी अपनी जीभ दो-चार बार ही अन्दर-बाहर की थी कि उसने अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाव बढ़ाया और अपने चूतड़ उठा-उठा कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी और इसी दौरान उसका शरीर बुरी तरह से अकड़ा जिसके कारण वो अपने सिर को इधर-उधर पटकने लगी, फ़िर एकदम से उसके अन्दर का ज्वालामुखी फ़ूट पड़ा।

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बस अब क्या बताऊँ दोस्तो, उसके इस ज्वालामुखी ने कितना रस छोड़ा, मैं तो बस उसको अपनी आँखें बंद करके गटा-गट पीता ही जा रहा था। जब वो शान्त हुई तो उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचा और मेरे मुँह और होंठों पर लगे अपनी चूत के रस का आनन्द लेने लई, उसने चाट-चाट के मेरे मुँह को एकदम साफ़ कर दिया।

फ़िर कुछ देर तक वो बैड पर शान्त लेटी रही, मैं भी उसके बगल में लेट गया और उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। कुछ देर बाद वो फ़िर से गर्म होने लगी और मैं यह देखकर हैरान हो गया कि अबकी बार उसने पहल की, उसने मुझे हाथ पकड कर बैड के नीचे खड़ा किया और खुद मेरे सामने घुटनों के बल बैठकर मेरी पैन्ट खोलने लगी, उसने मेरी पैंट मेरी टाँगों से अलग कर दी, फ़िर उसने कुछ देर मेरे लंड निहारा और अपनी आँखें बंद करते हुए उसे अपने हाथ में पकड़ कर चूम लिया।

उसके ऐसा करते ही मेरा दिल तो बाग-बाग हो गया तब उसने अपना मुँह खोला और लंड की चमड़ी को पीछे करते हुऐ उसे अपने मुँह में भर लिया।
सच मानो दोस्तो, मुझे उससे ऐसा करने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी पर वो तो बस अपनी आँखें बंद करके उसे पूरे दिलो जान से चूसे जा रही थी जैसे कोई छोटी बच्ची लोलीपोप चूस रही हो !
वो काफ़ी देर तक ऐसे ही मेरे लंड को चूसती रही, 15 मिनट के बाद मुझे लगा जैसे कि मेरा माल छुटने वाला है, तब मैंने अपना लंड उसके मुंह से छुड़ाने की नाकाम कोशिश की, पर वो थी कि छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी।
मैं समझ गया कि वो क्या चाहती है शायद वो मेरे माल को पीना चाहती थी और फ़िर कुछ देर में मैं उसके मुंह में ही झड़ गया वो झड़ने के कुछ देर बाद तक मेरे लंड को चूसती रही जब तक कि लंड की आखिरी बून्द तक वो अपने गले से नीचे ना उतार गई।

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फ़िर मैंने उसे उसके कन्धों से पकड़ कर उठाया और उसके होंठों पे होंठ रखकर चूमने लगा, उसने भी खुलकर मेरा साथ दिया वो कभी अपनी जीभ मेरे अन्दर डालती और कभी मेरी जीभ को अपने मुँह के अन्दर तक ले जाती।

सच मानो दोस्तो ये सब कुछ मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था क्योंकि उसके मुँह से मुझे मेरे वीर्य का स्वाद आ रहा था जो मुझे बिल्कुल अजीब लग रहा था, पर फ़िर भी मेरा दिल उसको छोड़ने को बिल्कुल नहीं कर रहा और मैं भी उसे अपनी आँखें बन्द किए उसे चूमे ही जा रहा था, मेरा लंड उसके पेट से टकरा रहा था जिसके कारण वो फ़िर से अकड़ रहा था। फ़िर मैंने उसे बैड पर लेटाया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया। उसने भी खुशी जाहिर करते हुये अपनी टाँगें फ़ैला कर मेरी कमर में कस ली और अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी, उसकी चूत बहुत ही चिकनी हो गई थी और बहुत सा पानी छोड़ रही थी। मेरा लंड एक ही झटके में अन्दर चला गया, पर अब मैंने कोई जल्दबाजी नहीं की और बहुत प्यार से अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगा।
हम दोनों तो बस एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे। मैंने ऐसे ही उसको करीब आधा घंटा चोदा, उसके बाद हम दोनों एक साथ अपनी चरम सीमा पर पहुँच गये।

कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे, हमें कब नींद आ गई हमें पता ही नहीं चला।

अगले दिन हम दोनों उठे और स्नान कर के उसके घर से अपने-अपने घर की तरफ़ चल दिये अगली बार मिलने का वादा कर के !

उसके बाद मैं अपने घर चला गया और वो अपने !

अगले दिन हम दोनों उठे और स्नान कर के उसके घर से अपने-अपने घर की तरफ़ चल दिये अगली बार मिलने का वादा कर के !

उसके बाद मैं अपने घर चला गया और वो अपने !

उस दिन के बाद तो हम दोनों के फ़ोन का खर्च और भी बढ़ गया, मैं अब हर बार उसे अपनी दूसरी मुलाकात के लिए कहता और वो हमेशा ही कहती कि जल्दी ही होगी, क्या करूँ, दिल तो मेरा भी कर रहा है।

अभी हमें चुदाई किये दो दिन भी नहीं हुये थे और मेरी हालत खराब होती जा रही थी, हम जब मिलते थे तब भी आस-पास कोई ना कोई होता था, हम सब की आँखें बचा कर बस थोड़ी बहुत चूमाचाटी ही कर पाते, और कभी सिनेमा में फ़िल्म देखते-देखते उसकी चूचियाँ दबा देता, इससे आगे कभी मौका ही नहीं मिला।

फ़िर हम दोनों ने एक शनिवार को चुदाई का प्रोग्राम बनाया वो भी होटल में, उसने एक होटल का पता और रूम नम्बर मुझे दिया और शाम सात बजे आने को कहा।

वो एक 5 स्टार होटल था जिसमें मैं एक बार पहले भी जा चुका था, तो मैं उस होटल के बारे में जानता था। मैं समय पर पहुँच गया। मैं सीधे उसके रुम के बाहर पहुँचा, उसने काफ़ी मंहगा कमरा बुक किया था, उसके कहे अनुसार मैंने दरवाजा खटखटाया।

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