माँ की चुदाई देख मज़ा आ गया: भाग 1

Ma ki chudai dekh maza aa gaya: Part 1

हेलो दोस्तों मेरा नाम रोहन राय है , मैं 21 साल का हूँ और मैं झारखण्ड में रहता हूँ , और आज मैं आप लोगों को अपना पहला कहानी बताने जा रहा हूँ ।
ये बात उस समय की है जब मैं 18 साल का था और 9 वीं कक्षा में पड़ता था और मैं बहुत मुठबाज था , जब की मेरे पापा एक लोको पायलट थे ,रेलवे में और मेरी माँ गृहिणी थी ।
मेरी माँ ,मेरे पापा की दूसरी पत्नी है और वो मेरे पापा से सात साल छोटी है , खूबसूरत हैं , कामुक हैं , मेरी माँ की फिगर 38–34–40 हैं, कद 5’6″ और दिखने में गोरी नारी हैं और उम्र 42 हैं ।
मेरी माँ हीरोइन जैसी है , हर समय सज दहेज़ के रहती है , और एहि वजह है की मेरे पापा ने उनसे शादी किये है , पर आज कल माज़ कोई और ले रहा है , मेरी माँ की ।

मेरे पापा तो घर पर कम ही रहते हैं और मेरी माँ उसीका फ़ायदा उठती थी , और ये बात ना तो मुझे पता था और ना पापा को , लेकिन एक दिन मुझे पता चल गया ।
की कोई मेरे गैरहाजरी में मेरी माँ को चोदता है , पर ये मुझे कैसे पता चला? असलमें मुझे मेरे घर के पीछे चार–पाँच इस्तेमाल किए हुए कंडोम फेंके हुए दिखे ।
मैं उसी समय से माँ पे शक करने लगा , तो मैं एक दिन माँ को किसी से बात करते हुए सुना फ़ोन पे और मुझे लगा की कोई आस–पास का ही है, पर कौन हो सकता हैं?
तो मैं एक दिन स्कूल के लिए निकला ज़रूर था , पर मैं उस दिन स्कूल गया ही नहीं , और मैं एक पार्क में बैठ कर कुछ देर समय बिताया और घर घंटे भर के बाद मैं घर जाने लगा ।
मैं घर पहुंचा ही था की, मैं देखा की घर के पीछे से कोई आदमी घुस रहा है और मैं फौरन अपने घर गया और चुपके से घर के गेट को खोल कर अंदर गया , मैं बिना आवाज़ किए आगे बड़ने लगा ।

करीब दोपहर का समय था और गर्मी का मौसम था , मैं घर के बहार–ही–बहार अपनी माँ के कमरे की तरफ गया , मैं देखा की खिड़की खुला हुआ है ,और मुझे झाँकने का मौका मिल गया ।
तो मैं जैसे ही देखा तो ,मैं जो देखा उसे देखा मैं समझ नहीं रहा था ,की मैं गुस्सा होऊं या मज़ा लून , क्यों की वो आदमी हमारे एरिया के पंडित जी, जगदीश मिश्रा थे , जो मेरी माँ को दबोच कर पकड़े हुए थे ।
और मेरी माँ की चुम्मी लेने के साथ मेरी माँ की बड़ी मोटी गांड को दबा रहे थे , मेरी माँ को तो बड़ा मज़ा आ रहा था ,पर मुझे गुस्सा के साथ मेरा लंड भी खड़ा हो रहा था ।
मैं देखा की पंडित जी मेरी माँ की नाईटी पीछे से उठा रहे है और उन्होंने माँ की नाईटी उठा कर मेरी माँ की लाल पेंटी में हाँथ दाल दिए पीछे से और सहलाने लगे ।

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जिससे माँ सिसक उठी ,” ईईईसस…अअआह… ईईईसस…अअआह ,” पंडित जी एक दम से मेरी माँ की नाईटी को पूरा उतर फेंके और माँ के साथ लिपट कर बिस्तर पे लेट गए और मेरी माँ की चूचियों को चूसने लगे ।
मेरी माँ पुरे मज़े में थी , और पंडित जी मेरी माँ की दोनों चूचियों को ऐसे चूस और चाट रहे थे , जैसे उनकी अपनी पत्नी है , पर मैं भी खुद को रोक नहीं पया और अपना लंड निकला और हिलना शुरू किया ।
मेरी माँ की सिसक कमरे में गूंज रही थी और पंडित जी मेरी माँ की चूचियों को चूस–चाट कर अपने थूक से लटपट कर दिए थे और मेरी माँ की नाभि चाटने में लगे थे , तब मेरी माँ और मस्त हो गई थी ।
पंडित जी मेरी माँ की नाभि चाटने के बाद माँ की पेंटी उतरने लगे और उतारते ही मेरी माँ की पेंटी को सूंघने लगे और माँ को बोले ,

पंडित जी : उउफफफ रेखा तेरी बूर की खुशबु मुझे दीवाना बना देता है ।
माँ : और आप मुझे दीवानी बना देते है पंडित जी ।

पंडित जी मेरी माँ की पेंटी को बगल में रखते हैं और मेरी माँ की दोनों टांगों को फैला कर मेरी माँ की झांटों वाली बूर को चाटने लागे ,

माँ : ईईईसस…अअआह…आह!… ईईईईईससससस…अअअहहह पंडित जी , उफ्फ्फ… क्या मस्त चाटते हैं आप…ईईईसस…।
पंडित जी : ईईईसस… बहुत मस्त है तुम्हारी बूर रेखा , जी करता है सारा दिन चाटता रहूँ ।

और फिर पंडित जी मेरी माँ की बूर को खूब चाटते रहे 5–6 मिनिट तक और फिर वो खड़े हो कर अपने ट्रॉउज़र को जब नीचे किये ,तो मैं पंडित जी के 7 इंच के लंबे और मोटे लंड को देख चौंक गया ।
मेरी माँ ,पंडित जी के लंड को देख उठी और पंडित जी के खड़े लंड को अपने होंठों पे रगड़ते हुए पंडित जी को बोली ,

माँ : ईईईसस…उउफफफ…आपके इसी लंड की दीवानी हो गई हूँ मैं पंडित जी ।
पंडित जी : ईईईईईससससस…आह! रेखा…तुमरी यहीं चीज़ मुझे पसंद है…उउफफफ ।

और फिर मेरी माँ ,पंडित जी के लंड को मुँह में ली और चूसने लगी , पंडित जी जितना मज़ा आ रहा था , उतना ही मज़ा मेरी माँ को भी आ रही थी , पंडित जी के लंड को मेरी माँ पूरा खा ही गई थी ।
और पंडित जी मेरी माँ की मुँह में अपना लंड थोड़ा अंदर–बहार भी कर रहे थे और वो मेरी माँ को कहने लगे ,

पंडित जी –अअअहहह…ईईईसस रेखा , क्या मस्त लंड चुस्ती हो तुम…अअअहहह ।

मेरी माँ सचमें लंड बहुत मस्त चूस रही थी और मैं यकीं नहीं कर रहा था की , मैं ये सब चुप–चाप देख रहा हूँ , मैं अपने लंड सहलाते जा रहा था और पसीने से बेहाल हो रहा था ।
और पंडित जी पता नहीं वियाग्रा खा कर आये थे या कुछ और उनका लंड मेरी माँ के इतने चूसने से भी मुठ नहीं निकल रहा था , और फिर पंडित जी कंडोम निकल कर माँ को दिए ।
और मेरी माँ , पंडित जी के लंड में कंडोम लगाई और लेट गई , और फिर पंडित जी मेरी माँ की दोनों टांगों को अपने कन्धों पर लाद दिए और अपने लंड को मेरी माँ की बूर में रगड़ कर घुसा दिए और मेरी माँ सीस्की ,

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माँ : ईईईसस…अअअहहह
पंडित जी : अअअहहह…रेखा जितनी बार भी लंड गया है ,पहली बार जैसे लगा है ।
माँ : बहुत मस्त लंड है आपका, पंडित जी…ईईईसस… अअआह…आह!… आह!…

पंडित जी मेरी माँ की बूर में अपना लंड से चोदना शुरू कर दिए थे , पंडित जी का लंड अंदर–बहार हो रहा था और मेरी माँ की बूर गीली होती जा रही थी , और थाप–थाप–थाप का आवाज़ आ रहा था ।
दोनों एक दूसरे से लिपट गए थे , दोनों का जिस्म एक दूसरे से रगड़ा रहा था और पंखा चलते हुए भी दोनों गरमा चुके थे , पसीने से लटपट हो रहे थे , और मैं लंड हिलाए जा रहा था, पसीना पूछते हुए ।
मैं मेरी माँ को किसी और के साथ चुदवाते हुए देख रहा था और मुझे बहुत मज़ा आने लगा था , मेरी माँ सिसक रही थी , जिसे सुनकर मुझे और भी मज़ा आ रहा था ,

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माँ : आह!… आह!… ईईईसस… आह!… आह!…
शर्मा अंकल : ईईईसस…अअआह…रेखा मज़ा आ रहा है…अअअहहह ।

और फिर पंडित जी मेरी माँ की बूर से अपने लंड को निकले और फिर से मेरी माँ की बूर को चाटने लगते और उसी समय पंडित जी मेरी माँ को उल्टा लेटा दिए और मेरी माँ घोड़ी की तरह अपनी गांड उठाई ।
पंडित जी मेरी माँ की गांड को भी नहीं छोड़े और मुँह लगा के चाटने लगे और मेरी माँ को और भी ज्यादा जोश आने लगा ,

माँ : ईईईसस…अअआह…आह!… ईईईसस…
पंडित जी : ईईईसस… उउममहह…उउमम… उउममहह

पंडित जी जिस अंदाज़ में मेरी माँ की गांड चाट रहे थे , उससे पता चल रहा था की , वो कितने बड़े चोदककड़ हैं ,और फिर पंडित जी मेरी माँ की बूर में अपने लंड को रगड़ने लगे ।
और फिर पेल दिए बूर में , और माँ की कमर पकड़ के धक्के–पे–धक्के देते हुए चोदने लग गए ,मेरी माँ की चूचियां आगे–पीछे थिरक रही थी और फिर पंडित जी अपने हांथ के अंगूठे को चूसे और मेरी माँ की गांड की छेद में सहलाने लगे ।
जिससे मेरी माँ को और हवस चढ़ गया और वो सिसकने लगी ,

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माँ : ईईईसस…उउउहह…ईईईसस…आह!…
पंडित जी : क्या कहती हो रेखा ,आज चढ़ जॉन तुम्हारे ऊपर?
माँ : ईईईसस…उउउहह…हाँ! , आज चढ़ ही जाईये ।

और तब पंडित जी मेरी माँ की ऊपर चढ़ गए और अपने लंड से कंडोम निकले और मेरी माँ की गांड की छेद में थूक चुवा कर अपने लंड के टोपा को आहिस्ता से घुसाए और मेरी माँ ,

माँ : ईईईईईससससस…ऊऊऊऊहह…उउफफफ
पंडित जी : बस थोड़ा सा और…अअअहहह

और पंडित जी का लंड मेरी माँ की गांड में घुस गया और फिर पंडित जी मेरी माँ की गांड चोदने लागे , और साथ ही मेरी माँ की चूचियों को दबाते हुए मसलने लगे ।
मेरी माँ , पंडित जी जैसे मोठे आदमी का वजन संभाले हुई थी और पंडित जी मेरी माँ की गांड में पूरा लंड पेले जा रहे थे , और उनका बड़ा अंडकोष मेरी माँ की बूर से टकरा रहा था ।
मेरी माँ की बूर गीली हो चुकी थी और माँ की गांड की बारी थी , मेरी माँ तो दर्द को भूल ही गई थी , उनका मुंह विस्तार में था गांड उठी हुई थी और पंडित जी का पैर मेरी माँ के मुंह के पास था।
जिसे मेरी माँ , अपने मुंह में लेकर चूस रही थी सिसकते हुए ,

माँ : अअअहहह…ईईईसस…उउमम…उउममहह… ईईईसस…आह!…आह!…
पंडित जी : आह!… आह!… ईईईसस…आह!… रेखा…

और तब पंडित जी ने ज़ोर–ज़ोर के धक्के लगाए जिससे मेरी माँ पूरी लेट गई और तभी भी पंडित जी पूरा पेले हुए थे और वैसे ही मेरा निकल गया,और पंडित जी एक दम से वो शांत हो गए ।
और दोनों गहरी साँस लेने लगे , कुछ देर बाद शर्मा अंकल मेरी माँ को बोले की ,

पंडित जी : कल तो तुम्हारा पति आ रहा है , फिर कब मौका मिलेगा?
माँ : शाम को आपके हवेली में, वैसे भी आप को चाहिए और मैं मना करदूँ ऐसा नहीं होगा ।

तो मैं समझ गया था की अगली चुदाई कब और कहाँ होने वाला है , तो मैं ज्यादा देर वहां रुका नहीं और निकल गया और स्कूल के टाइम से वापस आया और मैं देखा की मेरी माँ की चाल बदली हुई लग रही है ।
चाल तो बदलेगी ही आखिर लंड जो गांड में ली थी , पर मैं उस बारे अपनी माँ को कुछ नहीं बोला और खाना खा के अपने कमरे में चला गया ।
अब बाकी की कहानी दूसरे भाग में बताऊंगा , दोस्तों आपके साथ कभी ऐसा हुआ है तो मुझे ज़रूर बताएं , और मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना Email : [email protected]

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