भाई-बहन की चुदाई

मीना दीदी ने लंड चूस कर चूत चुदवाई

हेलो दोस्तों

वैसे तो मैं पहले भी कई सारी कहानियाँ लिख चूका हूँ और उनका मुझे अच्छा खासा प्यार भी आप लोगो से मिला था।
मेरी कहानी का मुख्य पात्र मेरी मौसेरी बहन मीना है जो उम्र में मुझसे 6 साल बड़ी है, और मैं उनको मीना दीदी बोलता हूँ।

मैं आपको थोड़ा मीना दीदी के बारे में बता देता हूँ –

मीना दीदी की उम्र अभी 37 साल है, 17 की उम्र में उनकी शादी हो गई थी और 24 की उम्र में उनके पति का देहांत हो गया और वो विधवा हो गई। जिस उम्र में लोग चुदाई का भरपूर आनंद लेते है उस उम्र में मीना दीदी की चुदाई का ज़रिया उनसे दूर हो गया।

मीना दीदी की हाईट 5 फ़ीट होंगी, शरीर पतला दुबला है, रंग गेहूआ है, बूब्स का साइज 30 है और कमर 28 है। और जब से मीना दीदी ने मुझसे चुदवाना शुरू किया तब से मुझे पता चला है की मीना दीदी को अपनी चूत पर झांटे रखने का शोक है, वो अपनी झांटे साफ नहीं करवाती है, बस कभी कभी ट्रीम कर लेती है।

पति के गुजरने के बाद मीना दीदी अपनी चूत मरवाने के लिए बहुत तड़पती थी और फिर एक रात हमारे बिच कुछ ऐसा हुआ की हम पास आए और उसके बाद से हमारा जिस्मानी रिश्ता बन गया। ये सब में अपनी पिछली कहानियों में लिख चूका हूँ किसी और साइट पर।

अब में कहानी पर आता हूँ

मैं एक दिन अपने काम से जल्दी फ्री हो गया था, और मैं उसी एरिया में था जहाँ मीना दीदी रहती है। तो मैंने सोचा की मीना दीदी से और मौसी से मिलता हुआ निकलता हूँ। और मैं मौसी के घर पहुंच गया।

दरवाजा खोल कर अंदर चला गया। मीना दीदी घर में अकेली थी और लेटी लेटी मोबाइल चला रही थी। मुझे देख कर उठ गई और मुझे पास में रखी कुर्सी पर बैठने को कहा।
वो निचे बैठी थी और में कुर्सी पर |

दीदी ने सफ़ेद रंग की ढीली सी टीशर्ट पहनी हुई थी और निचे पजामा पहना हुआ था। उनके निप्पल टीशर्ट से उभरे हुए थे तो मुझे पता चल गया की उन्होंने अंदर ब्रा नहीं पहनी है।

हम दोनों बातें करने लग गए और मेरी निगाहें बार बार उनके उभरे हुए निप्पल पर पड़ रही थी। वैसे तो मैं कई बार मीना दीदी को नंगी कर चूका था और नंगी देख भी चूका था लेकिन आगे बढ़के कुछ करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।

फिर मैं वापस जाने के लिए उठ गया और दीदी से बोला – ठीक है चलो, मैं निकलता हूँ। तो दीदी ने बोला रुक जा ना, बैठ थोड़ी देर चाय बनाती हूँ मैं।

मैंने चाय के लिए तो मना कर दिया लेकिन में वापस कुर्सी पर बैठ गया और उनसे बोला की चाय तो नहीं पीनी मुझे, दूध पिला सकते हो तो बोलो।

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दीदी बोली – ठीक है, मैं दूध ले आती हूँ।
मैंने कहा – वो दूध नहीं कह रहा हूँ।
दीदी समझ गई की मैं किस दूध की बात कर रहा हूँ, और वो मुस्कुराने लग गई।

दीदी मेरे पेरो के पास ही बैठी थी, और हाथ मेरी जांघ पर रख दिया। मैंने जीन्स और शर्ट पहने थे।
बात करते करते हम थोड़ी नॉटी बाते करने लग गए और मीना दीदी मेरी जांघ को सहलाने लग गई और एक बार तो उन्होंने मेरे लंड को भी छू लिया।

दीदी मेरे इतनी करीब बैठी थी और उनकी टीशर्ट भी बड़े गले की थी जहाँ से मुझे उनका क्लीवेज और उनके बूब्स लगभग पुरे ही दिख रहे थे। ये देखके मेरा लंड अपना आकर बढ़ाने लगा।

मीना दीदी को भी अहसास हो गया की मेरा लंड खड़ा हो गया, और वो धीरे धीरे अपनी उंगलिया मेरे लंड पर चलाने लग गई। और मैं उनके हाथ पर अपनी उंगलिया चलाने लग गया।

मीना दीदी थोड़ी मूड में आने लग गई थी और उन्होंने मेरे लंड को थोड़ा जोर से दबाना शुरू किया और फिर लंड को पकड़ लिया।

मैंने एक हाथ से दीदी का हाथ हटाया और एक हाथ से मेरी पैंट की ज़िप खोल के लंड को बाहर निकाला और दीदी का हाथ वापस लंड पर रख दिया।

दीदी थोड़ी सी मुस्कुरा के बोली की क्या कर रहा है पागल, कोई आ जाएगा ना।

मैंने इसका कोई जवाब नहीं दिया, और दीदी भी लंड को ठीक से पकड़ के हिलाने लग गई और फिर लंड पर किस्स कर दी।

फिर मैंने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और एक हाथ से दीदी का सिर पकड़ के लंड पर दबाया, तो दीदी बोली जल्दबाज़ी क्यों कर रहा है? ले रही हूँ मुँह मै। और मुस्कुरा दिया।

मैंने उनका सिर छोड़ दिया।

फिर दीदी ने मेरा लंड पकड़ा और मुँह में लेकर चूसने लग गई। मैंने उनके बाल संभाल लिए ताकि वो बिच में ना आए।
दीदी ने कुछ 3-4 मिनट तक लंड को चूसा और अचानक से दरवाजा खुलने की आवाज हुई, तो झट से दीदी दूर हो गई और मेने भी लंड अंदर डाल के ज़िप बंद कर दी।

देखा तो दीदी की दादी आ गई थी। दोनों का मूड ख़राब हो गया।

कुछ देर वापस हम बैठे बैठे बात करने लग गए और दीदी की दादी हमारे पास ही लेटे हुए थे और उनको नींद आ गई।
मैं उठा और जाने के लिए निकला तो दीदी भी पीछे पीछे आई और मुझे बोली की रुक तुझे ठंडा पानी पिलाती हूँ।
वो रसोई में गई और मैं उनके पीछे चल दिया।

फ्रिज खोल के वो पानी क़ी बोतल निकालने लगी तभी मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनसे चिपक गया।

दीदी मुझसे खुद को छुड़ाने क़ी कोशिश करने लगी और बोली क़ी हम अकेले नहीं है घर में, दादी आ जाएंगे अभी।

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लेकिन मैं कहाँ सुनने वाला था, कुछ ही देर पहले तो दीदी ने मेरा लंड चूसा था, अब लंड से माल बाहर नहीं आता तब तक तो मैं दीदी क़ी कुछ कहाँ सुनने वाला हूँ।

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दीदी को मैंने कस के पकड़ लिया, उनकी गांड में अपना लंड रगड़ने लगा और उनके बोबे पकड़ कर दबाने लगा।
दीदी अपनी गांड पर मेरा लंड पाकर गरम हो गई और अपनी गांड मेरे लंड पर दबाने लग गई।

मैंने उनकी टीशर्ट ऊपर करके अंदर हाथ डाल दिया और बोबे को पकड़ के मसलने लगा।

दीदी से कहा – कब से मैं आपके बोबे दबाने के लिए बेचैन हो रहा था, कब से देख रहा था आपके बोबे।

तो वो बोली क़ी मुझे पता था क़ी तू देख रहा है। और वो हाँफने लग गई।

मैं एक हाथ से उनके बोबे मसल रहा था और दूसरा हाथ उनके पाजामे पर ले गया और चूत को सहलाने लग गया, फिर पाजामे और चड्डी के अंदर हाथ डाल के चूत को सहलाने लग गया।

हम दोनों क़ी नज़रे दरवाजे पर भी थी क़ी कही दादी ना आ जाए।

दीदी पीछे क़ी तरफ मुड़ी और मुझे लिप किस्स करने लग गई और हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लग गए। दीदी किस्स करते करते अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ रही थी।
अब समय आ गया था क़ी दीदी को लंड क़ी सैर करवा दी जाए।

दरवाजा थोड़ा सा बंद कर दिया और दीदी का पजामा निचे करके उनकी चड्डी भी घुटनो तक खोल दी।

रसोई में हलकी हलकी रौशनी ही थी जिसकी वजह से दीदी क़ी भीगी हुई चूत चमक रही थी।

दीदी ने एक बार तो मना भी कर दिया क़ी सेक्स नहीं करते है, दादी आ जाएगी तो प्रॉब्लम हो जाएगी। लेकिन मैं तो पूरा मूड में था, सामने नंगी चूत हो और मैं बिना चोदे ही चला जाऊ इतना चूतिया तो नहीं हूं मैं।

मैंने दीदी को झुकने को बोला और वो रसोई में प्लेटफार्म पकड़ कर गांड पीछे क़ी तरफ निकाल के झुक गई। फिर मैंने अपनी पैंट और चड्डी निचे खिसका के लंड बाहर निकाला और दीदी के पैरों के बिच रगड़ने लगा और चूत का छेद ढूंढने क़ी कोशिश में था, क़ी दीदी ने लंड को पकड़ा और उनकी चूत के छेद पर टिका दिया और मुझे धक्का देने को बोला।

मैंने धीरे धीरे धक्का दिया और लंड को दीदी क़ी चूत में घुसा दिया। दीदी झुक कर खड़ी थी और मैं दीदी क़ी कमर को पकड़ के उनकी चूत मार रहा था।

दीदी बहुत धीरे धीरे आवाजे निकाल रही थी
आहहहहह आहहहह अंम्म्म ओह्ह्ह

मैंने कमर छोड़ के बोबे पकड़ लिए और बोबे दबाते दबाते मीना दीदी को चोद रहा था।

दीदी बोली क़ी माल अंदर मत छोड़ देना, बाहर ही निकालना, तेरी वजह से पहले भी दिक्कत आई थी।

(दोस्तों ऐसा दो बार हो चूका है जब मैंने मीना दीदी को प्रेग्नेंट कर दिया था, फिर दीदी को एबॉर्शन क़ी गोलियाँ खानी पड़ी थी, ऐसा इसलिए हुआ था क्यों क़ी हम हमेशा कंडोम के बिना ही सेक्स करते है, दीदी को कंडोम चढ़ा के फिर चुदाई करवाना नहीं पसंद है, वो कहती है क़ी जब तब चूत में लंड टच ना हो तब तक चुदने में मजा नहीं आता है, इसलिए 2 बार दीदी के पेट में बच्चा ठहर गया था )

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मैं दीदी के बोबे दबा दबा कर चूत में शॉट मार रहा था। दीदी वापस बोली क़ी मेरे अंदर माल मत छोड देना तू।

मुझे भी लगा था क़ी मेरा माल निकलने वाला है तो मैंने लंड को बाहर निकाल दिया।

मेरा लंड दीदी क़ी चूत के रस से एक दम चिकना और गीला हो रहा था। दीदी से कहा क़ी कहाँ निकालू अब, बाहर जा नहीं सकता इस हालत में और रसोई में गिरा नहीं सकता।

अभी भी में लंड को पकडे हुए खड़ा था, दीदी को सवाल भारी निगाहों से देख रहा था।

दीदी घुटनो पर बैठ गई और मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया और फिर मुँह में लेके चूसना शुरू कर दिया? मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। और ज्यादा उत्तेजना इस बात से हो रही थी क़ी ये लंड अभी मीना दीदी क़ी चूत में था और उनकी चूत के पानी से ही भीगा हुआ है और वही मेरा लंड चूस रही है।

खैर,

मेरी उत्तेजना बढ़ गई और मैंने दीदी के हाथ से लंड को छुड़ा दिया और उनके बाल पकड़ के लंड उनके मुँह में ठूस दिया और उनका मुँह चोदने लगा। मेरा लंड उनके गले तक चोद रहा था।

एक दम मैंने रफ़्तार कम कर दी, दीदी के मुँह में लंड को अंदर तक ठूस दिया और वही रुक गया। मेरे लंड से वीर्य क़ी गरम धार दीदी के गले में छूट गई।

मैं धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करके लंड से सारा वीर्य दीदी के मुँह में निकालने लगा। और दीदी घुट घुट करके मेरे वीर्य को पीती चली गई। और मेरा लंड सिकुड़ कर मुँह से बाहर आ गया।

फिर दीदी ने लंड को वापस मुँह में लिया और चूस चाट कर साफ कर दिया।

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फिर मैंने अपनी चड्डी और पैंट पहनी और दीदी ने भी अपनी चड्डी और पजामा पहन लिया और फ्रिज से पानी क़ी बोतल निकाल के खुद भी पानी पिया और मुझे भी पिलाया।
फिर हमने एक लिपकिस्स क़ी और मैं वापस वहां से निकल गया।

yachting4u.ru में कहानी पढ़ने के लिये आपका धन्यवाद, हमारी कोशिश है की हम आपको बेहतर कंटेंट देते रहे!


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