मेरी बुर साफ़ की जीजा जी ने ट्रेन में-1

(Meri Bur Saf Ki Jija Ji Ne Train Mein-1)

दोस्तो, मेरा नाम प्रियंका सागर है| मैं बुलंदशहर जिले के की रहने वाली हूँ पर मैं लखनऊ में रहकर पढ़ाई करती हूँ| Meri Bur Saf Ki Jija Ji Ne Train Mein.

मैं किसी से बहुत कम बोलती या मेलजोल रखती हूँ इसलिए मैं अपने दिल की बात किसी को बता नहीं पाती|

एक दिन मेरी सहेली शशि ने yachting4u.ru के बारे में बताया और कैफ़े में ले जाकर कहानी पढ़वाई|

इस पर ढ़ेर सारी कहानियाँ पढ़कर बहुत मजा आया और सोचा कि मैं भी अपने दिल की बात इस साईट के माध्यम से आप लोगों को बताऊँ|

मैं आपको अपनी एक सच्ची घटना के बारे में बताती हूँ।                          “Meri Bur Saf Ki Jija”

जो मेरे साथ अनजाने में घटी जिसकी मैंने कभी कल्पना नहीं की थी और जिसको बताने के लिए मैं बहुत बेताब रहती थी कि मैं किसको बताऊँ?

डरती हूँ कि कोई मेरे घर वाले ना जान जायें नहीं तो मेरी पढ़ाई बंद करवा देंगे|

मैं अपने घर में अपने भाई-बहनों में तीसरे नंबर, बीस साल की हूँ।

सबसे बड़े भैया गैर-सरकारी (प्राइवेट) बैंक में हैं। उनकी शादी नहीं हुई है।

मुझसे छोटा एक भाई है। एक मुझसे बड़ी दीदी है जिसकी शादी एक आर्मी वाले लड़के से हुई है|

मैं होस्टल में रह कर पढ़ती हूँ।

एक दिन मेरे जीजू मुझसे मिलने होस्टल आये। मैं उन्हें देख कर बहुत खुश हुई।

वो सीधे आर्मी से मेरे पास ही आये थे। और अब घर जा रहे थे।

मैंने भी उनके साथ घर जाने का मन बना लिया और कॉलेज से आठ दिन की छुट्टी ले ली| मैं जीजू के साथ जीजू के घर जाना चाहती थी क्यूँकि दीदी से मिले बहुत दिन हो गए थे|

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जीजू से पूछा तो उन्होंने हाँ बोल दिया| मैं और जीजू घर के लिये रवाना हो गये।

जिस ट्रेन से हम घर जा रहे थे उस ट्रेन में मेरा आरक्षण (रिज़र्वेशन) नहीं था। सिर्फ़ जीजू का था।

इसलिये बस से जाने की सोचने लगे पर जीजू बोले की मेरा तो आरक्षण (रिज़र्वेशन) है ना, एक ही बर्थ पर एडजस्ट कर लेगें| हम लोगों को एक ही बर्थ मिली।

ट्रेन में बहुत भीड़ थी। अभी रात के ग्यारह बजे थे। हम इस ट्रेन से सुबह घर पहुँचने वाले थे।

मैं और जीजू उस अकेली बर्थ पर बैठ गये। सर्दियों के दिन थे। आधी रात के बाद ठंड बहुत हो जाती थी।

मैं बहुत गर्म कपड़े नहीं पहनी थी|                                   “Meri Bur Saf Ki Jija”

मुझे अब ठंड लगने लगी तो मैंने ओढ़ने के लिए कुछ माँगा तो जीजू ने बेग से कम्बल निकाल कर आधा मुझे ओढ़ा दिया और आधा खुद ओढ़ लिया।

यह कहानी आप yachting4u.ru में पढ़ रहें हैं।

मैं मुस्कुराती हुई उनसे सट कर बैठ गयी। सारी सवारियां सोने लगी थीं। मुझे भी नींद आने लगी थी|

ट्रेन अपनी रफ़्तार से भागी जा रही थी।

जीजू को भी नींद आ रही थी। मैंने जीजू से उनकी गोद में सर रखकर सोने के लिए पूछा तो जीजू ने मुझे अपनी गोद में सिर रख कर सो जाने के लिये कहा।

जीजू का इशारा मिलते ही मैं उनकी गोद में सिर टिका कर, पैरों को फैला लिया। मैं उनकी गोद में आराम के लिये अच्छी तरह ऊपर को हो गई।

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जीजू ने भी पैर समेट कर अच्छी तरह कम्बल में मुझे और खुद को ढांक लिया और अपना हाथ अपने सीने के पास समेट कर बैठ गये।

तब तक मैंने कभी किसी पुरूष को इतने करीब से स्पर्श (टच) नहीं किया था। वैसे मेरे जीजू बहुत हैण्डसम और जवान लड़के है|

जीजू की मोटी-मोटी जांघों ने मुझे बहुत आराम पहुँचाया। मेरा एक गाल उनकी दोनों जांघों के बीच रखा हुआ था।

और एक हाथ मैंने उनके पैरों को कौलियों में भर रखा था।

तभी मेरे सोते हुये दिमाग ने झटका सा खाया। मेरी आँखों से नींद गायब हो गई। वजह थी जीजू के जांघों के बीच का स्थान फूलता जा रहा था।

और जब मेरे गाल पर स्पर्श(टच) करने लगा तो मैं समझ गई कि वो क्या चीज़ है।

मेरी जवानी आंगड़ियाँ लेने लगी। मैं एक बार दीदी के साथ सेक्स करते हुए जीजू का लंड देख चुकी थी इसलिए मैं समझ गई कि जीजू का लंड मेरे बदन का स्पर्श पाकर उठ रहा है।                                 “Meri Bur Saf Ki Jija”

ये ख्याल मेरे मन में आते ही मेरे दिल की गति बढ़ गई। मैंने गाल को दबा कर उनके लंड का जायज़ा लिया जो ज़िप वाले स्थान पर तन गया था।

जीजू भी थोड़े कसमसाये थे और दीदी से लगभग एक साल दूर सीमा (बॉर्डर) पर थे तो शायद वो भी मेरे बदन से गरम हो गये थे।

तभी तो वो बार-बार मुझे अच्छी तरह अपनी टांगों में समेटने की कोशिश कर रहे थे।

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अब उनकी क्या कहूँ, मैं खुद भी बहुत गरम होने लगी थी। और उनके लंड को छूने और दबाने को जी कर रहा था|

मैंने उनके लंड को अच्छी तरह से महसूस करने की गरज़ से करवट बदली। अब मेरा मुँह जीजू के पेट के सामने था।

मैंने सोने का नाटक करते हुए करवट लेने के बहाने अपना एक हाथ उनकी गोद में रख दिया और सरकते हुए पैंट के उभरे हुए हिस्से पर आकर रुकी।

मैंने अपने हाथ को वहाँ से हटाया नहीं बल्कि दबाव देकर उनके लंड को देखा।

उधर जीजू ने भी मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे अपने से चिपका लिया। मैंने बिना कुछ सोचे उनके लंड को उंगलियों से टटोलना शुरू कर दिया।

चूँकि मेरा एक बॉय फ्रेंड था और एक बार मैंने उसके लंड को हाथ में लेकर दबाया और ऊपर-नीचे भी किया था पर मैं सोचती थी की गैर को खुश करने से तो अच्छा है किसी अपने को खुश रखा जाये जो हमेशा काम आये|                   “Meri Bur Saf Ki Jija”

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