माँ की चूत चोदी तो जिन्दगी रंगो से भर गयी

Ma Ki Chudai : सभी लंड धारियों को मेरा लंडवत नमस्कार और चूत की मल्लिकाओं की चूत में उंगली करते हुए नमस्कार। yachting4u.ru के माध्यम से आप सभी को अपनी स्टोरी सुना रहा हूँ। मुझे यकीन है की मेरी सेक्सी और कामुक स्टोरी पढकर सभी लड़को के लंड खड़े हो जाएगे और सभी चूतवालियों की गुलाबी चूत अपना रस जरुर छोड़ देगी।

मेरा नाम अभिषेक गुलाटी है। मैं पंजाब का रहने वाला हूँ। मेरा घर अमृतसर में है। मैं एक शर्मीले किस्म का लड़का हूँ। अभी सिर्फ 23 की उम्र है पर मुझे कई चूत मारने को मिली है। मैं पहले जल्दी किसी लड़की से बात नही करता था। मैं काफी दब्बू और संकोची किस्म का आदमी था। पर अब मैं खुल गया था और लड़कियों की चूची से लेकर उनकी चूत तक पी जाता हूँ। आपको बता दूँ की मेरी माँ बहुत सेक्सी औरत है और पिछले कई सालो से वो मुझसे चुदाने का निवेदन कर रही थी, पर मैं ही मना कर देता था। होली वाले दिन उनको कामयाबी मिल गयी। सब आपको बता रहा हूँ। 3 महीने पहले मेरी माँ ने रात में मेरा हाथ पकड़ लिया था और मुझे किस करने लगी थी।

“आओ न अभिषेक!! जबसे तुम जवान क्या हुए अपनी माँ से 2 मिनट बात करने का टाइम नही है तुम्हारे पास। आओ न कमरे में चलो” माँ रात में मुझे बुलाने लगी।

मैं जैसे ही अंदर गया उन्होंने मुझे पकड़ लिया और होठो पर किस करने लगी। मैं हैरान था की कही ये पागल तो नही हो गयी है।

“आपका दिमाग तो ख़राब नही है। क्या कर रही है आप??” मैंने कहा और दूर हटाने लगा

माँ ने मुझे फिर से पकड़ लिया लोअर के उपर से मेरा लंड पकड़ ली।

“अभिषेक बेटा!! तेरे पापा तो इस दुनिया में है नही। इसलिए मुझे चोदने खाने वाला कोई नही है। बेटा आज अपनी माँ को चोदकर मेरी प्यास बुझा दे” माँ बोली और मेरे लंड को पकड़ने लगी

मैं उनको धक्का देकर भाग गया। उस दिन से मेरा नजरिया बदल गया था। पहले मैं अपनी माँ को साफ़ सुथरी नजरो से देखता था। जिस तरह से सब बेटे अपनी माँ को देखते है उस तरह से पहले मैं देखता था पर उस वाली घटना ने सब बदल दिया था। हालात बड़ी तेजी से बदल गये थे। अब मैं भी अपनी सेक्सी माँ को चोदना चाहता था। उनके बारे में आपको बता देता हूँ। मेरी माँ का रंग खूब गोरा दमकता हुआ है। कद 5’5″ है, लम्बी, चौडे कन्धे, खूब उभरी हुई 36” की छाती, उठे हुए स्तन और मस्त, गोल गोल भरे हुए 38” के नितम्ब है। माँ बिलकुल रानी मुखर्जी जैसी सेक्सी लगती है। मेरे घर में जब भी कोई मर्द आता है तो माँ को देखकर उसका लंड खड़ा हो जाता है।

दोस्तों इस तरह से अब मेरा भी मूड बदल गया था। मैं भी अब 23 साल का जवान लड़का बन गया था। रात में मेरा लंड अक्सर ही खड़ा हो जाता था। फिर अपनी चुदासी माँ की याद आ जाती थी किस तरह से उन्होंने मेरे को प्रपोज किया था और किस तरह से खुद ही अपनी मस्त मस्त चूत देने की गुजारिश कर रही थी। मैं फिर मुठ मारना शुरू कर दिया था। फ्रेंड्स कुछ दिन बाद मैं रोज ही अपनी जवान माँ को याद करके मुठ मार देता था। अब मैं उनको हमेशा वासना की नजर से देखता था। एक दिन मैंने देखा की मेरे दादा जी माँ से हंसी मजाक कर रहे थे। वो बार बार मेरी माँ का हाथ पकड़ लेते थे। दादा जी जिस तरह से बात कर रहे थे मुझे कुछ दाल में काला लगा। मैं कान लगाकर माँ और दादा जी की बाते सुनने लगा तो होश फाकता हो गये।

“बहु!! आजकल मेरे कमरे में नही आती है। कितने दिन हो गये तेरी चूत मारे। बोल आज रात आएगी??” मेरे दादा जी माँ की कलाई पकड़कर कहने लगे

“ससुर जी!! कल ही तो अपने मेरी मशीन चोदी है” माँ मुंह बनाकर कहने लगी

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“बहु!! क्या करूँ?? तू इतनी चिकनी माल है की रोज ही मेरे खूबसूरत जिस्म को भोगने की इक्षा बनी रहती है। प्लीस!! आज रात आ जाना” दादा जी बोले

जब मैंने उन दोनों का वार्तालाप सुना तो हैरान था। मेरी माँ मेरे दादा से रोज ही चुदा रही थी। मेरे मन में फौरन ही जलन होने लगी थी। मैं अपने आपको कोसने लगा। मुझे कितना अच्छा मौका मिल था जिसे मैंने गँवा दिया। वरना माँ की चूत पर सिर्फ मेरा ही हक होता। खैर अब मैं जुगाड़ लगाने लगा था। होली आने वाली थी। अब मुझे किसी तरह अपनी सगी को लाइन देकर पटा लेना था। फिर परसों यानी 2 मार्च को होली का त्यौहार आ गया था। मेरी सेक्सी बदन वाली माँ सुबह से होली खेलने लगी। सुबह की पास के 8 10 अंकल लोग आये। उन्होंने माँ के गालो पर रंग लगाते लगाते उनकी 36” की बड़ी बड़ी चूचियां दबा ली। माँ “..अहहह्ह्ह्हह स्सीईईईइ….अअअअअ….आहा …हा हा सी सी सी” करने लगी। फिर उन लोगो ने माँ की साड़ी उठाकर भीड का फायदा लेकर उनकी मस्त मस्त 38” गांड में रंग भर दिया।

गुजिया, पापड़ खाकर वो अंकल लोग चले गये। जिस तरह से माँ उन लोगो से हंस हंसकर बाते कर रही थी, लग रहा था की उन अंकल लोगो ने माँ को जरुर चोदा होगा। अब मुझे सब समझ आ गया था। मर्दों के बीच में मेरी माँ काफी प्रसिद्ध थी। उनकी बड़ी डिमांड थी। कितने मर्द मेरी माँ को चोदने के लिए पलके बिछाये रहते थे। अब मैं भी सोचने लगा की आज ही होली के दिन इनको चोद डालूँगा। मेरे घर में कुल 3 लोग ही रहते थे। मेरे दादा जी, माँ और मैं। मेरे पापा जी की अकाल मौत हो गयी थी। मैंने लम्बी पिचकारी में ढेर सारा रंग भरा और माँ पर रंग मारने लगा। जब गाढ़ा लाल रंग उनके गोरे गोरे बदन पर पड़ा तो बहुत जंच रहा था।

“अभिषेक!! ये क्या कर रहा हूँ। तुझे तो रंग खेलना जरा भी पसंद नही था” माँ कहने लगी

मैंने फिर से लम्बी पिचकारी में रंग भरा और माँ के पेट पर मारने लगा। इस बार उनका गोरा गोरा पेट फिर से रंग गया। फिर माँ अंदर वाले कमरे में भाग गयी।

“आज आपको नही छोडूंगा” मैंने कहा और दौड़ा लिया

फिर हाथ में रंग लेकर उनके गोरे गोरे गाल पर मल दिया। वो भी शरारत करने लगी। वो भी मुझे गालो पर और पूरे चेहरे पर रंग लगा दी। मैंने उसी वक्त कमरे में उनको पकड़ लिया और होठो पर किस करने लगा। माँ कुछ समझ नही पायी। उनकी साड़ी, ब्लाउस पूरी तरह से रंग वाले पानी से भीगी हुई थी। मैं भी भीगा हुआ था। मैंने उसको सीने से चिपका लिया और खूब किस किया।

“ये सब क्या है अभिषेक बेटा??” वो मुस्कुराकर पूछने लगी

“आज होली के दिन आपकी चूत में रंग भरकर होली खेलूँगा। बाहर बाहर के मर्द आपको चोदे और मुझे ही आपकी बुर चोदने को न मिले, ये तो बड़ी गलत बात है। पर आज से आप सिर्फ मेरा और दादा जी का लौड़ा ही खाओगी। किसी बाहर वाले का लंड अपनी बुर में नही खाओगी” मैंने कहा

“बेटा!! अगर मुझे कोई घर में ही कसके रगड़कर चोद लेता तो मैं बाहर के मर्दों से क्यों चुदाती” माँ बोली

उसके बाद मैंने फिर से उनके गालो पर पप्पी लेनी शुरू कर दी। मेरे दादा जी बाहर सो रहे थे। एकांत में मैं अपनी सगी माँ को चोद सकता था। मैंने ही उनकी साड़ी उतारना शुरू कर दी। वो ब्लाउस और साये में हूबहू रानी मुखर्जी जैसी दिख रही थी। मैंने अपना टी शर्ट और लोअर उतार दी जो रंग से पूरी तरह से दूसरे ही रंग में रंग गयी थी। फिर खड़े होकर माँ के साथ रोमांस करने लगा। ब्लाउस के उपर से माँ की 36” की उभरी हुई बड़ी बड़ी चूचियों को दबाने लगा। वो “……अई…अई….अई…..इसस्स्स्स्…….उहह्ह्ह्ह…..ओह्ह्ह्हह्ह….” करने लगी। फिर मैं उनको बिस्तर पर ले गया और जी भरके उनकी चूची का मर्दन किया। खूब मसला उनको। माँ आऊ आऊ करने लगी।

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“माँ अपनी ब्लाउस खोलिये!!” मैंने धीरे से कहा

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वो बटन खोलने लगी। ब्लाउस को निकाल दिया। उनकी सफ़ेद ब्रा अब होली वाले रंग से रंगीन हो गयी थी। उनकी सफ़ेद रंग की चूची के मुझे दर्शन होने लगे। मैं ब्रा के उपर से माँ के गजब के सेक्सी दूध मसलने लगा। एक बार फिर से वो सी सी आई आई करने लगी। फिर ब्रा भी वो खुद ही खोल डाली। उनकी नंगी चूचियों को देखकर मेरा मन बदल गया और लौड़ा मेरी चड्डी में ही खड़ा हो गया था।

“मेरे कच्चे कच्चे मम्मे को दबा दबाकर इसका रस निकालो बेटा जी!! अई…..अई….अई… अहह्ह्ह्हह…..सी सी सी सी….हा हा हा…” माँ कहने लगी

उसके बाद मैं चालू हो गया। उनकी बड़ी बड़ी उफनती चूची को दबा दबाकर रस निकालने लगा। मैं अपने हाथो से कस कसके गोल गोल मुसम्मी को दबा दबाकर रस निचोड़ने लगा। माँ को बड़ा आनन्द मिल रहा था। फिर मैं मुंह में लेकर उनकी सेक्सी तिकोनी चूचियों को पीने लगा। वो बेड पर मचलने लगी। मेरे लंड को पकड़ने की कोशिश कर रही थी। मैं उनकी लेफ्ट और राईट साइड वाली चूची को मुंह में लेकर चूस रहा था। मेरी माँ सनी लियोन जैसी सेक्सी माल थी जो आसपास के मर्दों से चुद चुदकर और भी जादा खिल गयी थी। मैं तो उनकी दोनों मुसम्मी को मुंह में लेकर चूस रहा था। माँ की सेक्सी चूचियां किसी बड़े पहाड़ जैसी दिख रही थी। सफ़ेद दूध की निपल्स बड़ी बड़ी काली थी जो बहुत सेक्सी दिख रही थी। मैंने अपने अरमान मिटा लिए।

आधे घंटे तक अपनी चुदक्कड माँ की मुसम्मी को चूसा। दांत गड़ा गड़ा कर निपल्स को छलनी छलनी कर दिया। माँ “आऊ…..आऊ….हमममम अहह्ह्ह्हह…सी सी सी सी..हा हा हा…..” करने लगी। उन्होंने खुद ही अपने साये की डोरी खोल दी। और साया निकाल दिया। फिर उन्होंने अपनी चड्डी की इलास्टिक पकड़ी और नीचे खिसका दी। चड्डी उतार डाली। उनकी बुर बड़ी सेक्सी थी। चूत बहुत कामुक दिख रही थी। एक भी बाल उनके भोसड़े पर नही था।

“माँ!! क्या आप हमेशा ही अपनी चूत को चिकनी बनाये रहती हो???” मैंने पूछा

“हाँ बेटा जी!! मैं रोज बाथरूम में जाकर अपनी चूत की झाड काट देती हूँ। पता नही कब कोई लंड खाने को मिल जाये” वो बोली

मैं उनकी साफ़ चूत पर मुंह लगा लगाकर चाटने लगा। माँ जी “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ..हमममम अहह्ह्ह्हह..अई…अई…अई…..” करने लगी। मैं उनकी जवान चूत को अच्छे से मुंह लगाकर पी रहा था। उसे खा रहा था। उनकी बुर की दोनों कलियों को चूस रहा था। माँ की बुर का स्वाद बड़ा अच्छा था। वो दोनों टांग खोलकर अपनी बुर मुझे पिला रही थी।

“ohh!! yes yes yes बेटा जी जी!! मेरी चूत में अपनी नुकीली जीभ घुसाकर चूसो!!” माँ बोल रही थी

मैं उनके गोरे सेक्सी जिस्म के सबसे नर्म और कामुक हिस्से को पी रहा था। वो जवानी के नशे में तडप रही थी। मैंने अपनी सगी माँ की बुर 15 मिनट से भी अधिक समय तक चूसी और उनको भरपूर यौवन सुख दिया। फिर माँ ने मुझे दोनों हाथो में कस लिया। मुझे किस करने लगी। मेरे मुंह पर मुंह रखकर उन्होंने खूब चूसा। उनकी नंगी 36” की जवान चूचियां मेरे सीने पर दब रही थी। मुझे पकड़कर करवट दिला दी। खुद उपर आ गयी। मेरा लंड मेरी चड्डी में तम्बू बना हुआ था।

“बेटाजी!! क्या तुमको लंड चुसाना पसंद है???” वो पूछने लगी

“पता नही माँ। मैंने आजतक किसी लड़की से लंड नही चुसाया है” मैंने कहा

उन्होंने मेरी चड्डी को बड़ी रफ्तार से उतार दिया। और मेरे 6” लंड को पकड़ ली और जल्दी जल्दी मुठियाने लगी। मैं मजा लूटने लगा। माँ मेरे खूटे को बेहद प्रोफेशनल तरह से मुठ दे रही थी। मेरा लंड ताव खाकर खड़ा होने लगा। माँ चूसना चालू कर दी। उनको लंड सक करना बहुत अच्छा लग रहा था। मैं “उ उ उ उ उ……अअअअअ आआआआ… सी सी सी सी….. ऊँ…ऊँ…ऊँ….” कर रहा था। माँ के हाथ बड़ी जल्दी जल्दी मेरे लंड पर दौड़ रहे थे। वो फेट फेटकर उसे लोहा बना रही थी। आखिर में मेरा लंड अच्छी तरह से खड़ा हो गया। उसके छेद से रस निकलने लगा। माँ मेरे टोपे को मुंह में लेकर किसी आइसक्रीम की तरह चूस रही थी। वो मेरी गोलियों को हाथ से छेड़ रही थी।

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उसे मुंह में लेकर चूस रही थी। उन्होंने तो मुझे दिन में तारे दिखा दिए। फिर वो लेट गयी। मैंने उनकी चूत में अपना 6” लम्बा और 2” मोटा लंड सेट किया और हल्के से धक्के में लंड भीतर घुस गया। कहना गलत नही होगा की मेरी माँ काफी चुदी हुई थी। इसलिए उनकी बुर अच्छे से फट चुकी थी। मैंने लंड को 6” अंदर तक गाड़ दिया और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।

“….उंह हूँ.. हूँ…मेरे बेटे और गहराई से चोदो मेरी रसीली चूत को!! हूँ..हमम अहह्ह्ह..अई….अई…..” माँ जी कहने लगी

मैं तेज धक्को के साथ उनकी चुदाई करने लगा। उनको पूरा मजा दे रहा था। मैं उनके दोनों हाथ पकड़ कर जल्दी जल्दी चोदने लगा। वो मेरे सामने पूरी तरह से नंगी होकर अपने जिस्म का प्रदर्शन कर रही थी। मैं माँ की चूत को देख देखकर उसका दर्शन कर करके उसकी चूत मार रहा था। मेरा लंड अब उनकी बुर के सेक्सी रस से गीला हो गया था। आराम से चिकनाई पाकर फिसल रहा था।

“ohh!! yes yes मजा आ रहा है अभिषेक बेटा!!…ऊँ—ऊँ…ऊँ सी सी सी…अंदर तक लंड घुसाकर चोदो” माँ कह रही थी

उनका बदन अंदर से संगमर्मर जैसा सफ़ेद दिख रहा था। मैं अपने 6” लंड को तेज तेज दौड़ाकर उनको ले रहा था। मेरे मादक धक्को से उनकी चूचियाँ उपर नीचे हिल हिलकर डांस कर रही थी। फिर उन्होंने अपने होठो को दांत से काटना चबाना शुरू कर दिया। वो अपनी कमर उठा उठाकर मरा रही थी। “हूँउउउ हूँउउउ हूँउउउ ….ऊँ…ऊँ…ऊँ सी सी सी… हा हा.. ओ हो हो….” की तेज तेज आवाजे निकाल रही थी। मैं बिना रुके उनकी चूत फाड़ने लगा और करता ही चला गया। अंत में मैं कांपते हुए चूत में शहीद हो गया। चूत से लंड निकाला और उसपर मुंह लगाकर चूसने लगा।

“चलो माँ अब कुतिया बनो!!” मैं बोला

वो झट से कुतिया बन गयी। उनकी गांड क्या खूब गद्दे जैसी उभरी हुई थी। आज मैं उनको अपनी औरत समझकर चोद रहा था। पहले मैंने उनके 38” के नितम्बो पर खूब किस किया। फिर दांत गड़ा कर चिकनी चमड़ी को काटने लगा। कुछ देर बाद मैं उनकी गांड को पी रहा था। उसे गीला बना बनाकर चूस रहा था। मैंने 10 मिनट माँ की गांड चूसी। फिर उसमे ऊँगली करके अंदर बहार करने लगा। उसे ढीला बना दिया। फिर अपना 6” लंड मैंने तेल लगाकर धीरे धीरे अंदर पंहुचा दिया। उसके बाद उनकी गांड को fuck करने लगा।

“मेरे बेटे!! मेरी गांड का सेक्सी छेद सिर्फ तेरे लिए बना है। चोद डाल इसे भी” मैं बोली

उनकी आज्ञा मिलते ही मैंने उनके बड़े बड़े नितम्ब पकड़कर काफी देर उनकी गांड चोदी। फिर लंड जल्दी से निकालकर माँ के चेहरे पर माल झार दिया। मेरे मोटे लंड से बहुत से माल की पिचकारी निकली जिससे उनका पूरा रंगीन चेहरा रंग गया, माँ मेरे माल को जीभ से चाटने लगी। फिर होली का रंग छुड़ाने के लिए बाथरूम में नहाने चली गयी। इस तरह इस साल वाली होली मेरी लिए बहुत सेक्सी रही। आपको स्टोरी कैसी लगी मेरे को जरुर बताना और सभी फ्रेंड्स नई नई स्टोरीज के लिए yachting4u.ru पढ़ते रहना। आप स्टोरी को शेयर भी करना।

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