पहली गलती पहली चुदाई

Pahali galti pahali chudai

हैल्लो दोस्तों,  यह मेरी लाईफ का फर्स्ट सेक्स था और मेरा नाम राजन है, में मुंबई में रहता हूँ. में अभी तक सिंगल हूँ और मेरी उम्र 24 साल है, में दिखने में दुबला पतला हूँ. यह बात आज से 5 साल पहले की है, मेरा एक दोस्त था, उसकी उम्र करीब 22 साल थी. उसकी माँ जिसका नाम बबली है, करीब 42 साल की है, वो बहुत सेक्सी लगती थी और वो दिखने में अभी भी 30-32 साल की लगती थी, वो करीब 5 फुट 6 इंच, एकदम स्लिम, वजन करीब 55 किलोग्राम है और उसका फिगर 36-30-38 था. में जब भी उनके घर पर जाता था तो में उसको देखकर मदहोश हो जाता था. में जब भी बिपाशा बसु की कोई मूवी देखता था तो मुझे उसका चेहरा याद आ जाता है, मेरा उनके घर पर बहुत आना जाना था.

एक दिन में, आंटी और करण एक साथ एक शादी में गये थे और यह शादी उनकी रिश्तेदारी में थी. अब रात को आंटी के सिर में दर्द होने लगा था, तो आंटी ने करण को घर छोड़ने को कहा, वो अभी व्यस्त था. मैंने भी करण से कहा कि में घर जा रहा हूँ और मुझे सुबह आउट ऑफ स्टेशन जाना था. आंटी बोली कि बेटा मुझे घर पर छोड़ देना. मेरा घर दूर था, तो करण बोला कि तुम मेरे घर पर सो जाना और सुबह में तुझको स्टेशन पर छोड़ आऊंगा, मैंने कहा कि ठीक है. अब में बाइक पर आंटी के साथ वापस आ रहा था. आंटी ने उस वक्त पिंक कलर की साड़ी पहनी हुई थी और वो बहुत खूबसूरत लग रही थी. अब जब में किसी स्पीड ब्रेकर पर ब्रेक लगाता, तो आंटी के बूब्स मेरी पीठ से लग रहे थे. अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और अब मेरा लंड भी धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था. रास्ते में बारिश शुरू हो गयी और तेज हवा भी चलने लगी.

अब आंटी ने अपना एक हाथ मेरी कमर पर रखा हुआ था, तो तभी अचानक से मेरी बाइक के आगे एक कुत्ता आ गया तो मैंने एकदम से ब्रेक लगाई. आंटी का हाथ मेरी कमर से स्लिप होकर मेरी जाँघ पर आ गया और उनका हाथ मेरे खड़े लंड पर टच हुआ और उसके बाद वो मुझसे चिपककर बैठ गयी. हम लोग करीब 12 बजे घर आ गये और अब हम पूरी तरह से भीग गये थे. अब मुझे आंटी के ब्लाउज के अंदर से उनके बूब्स साफ-साफ नजर आ रहे थे. आंटी ने मुझे करण का पजामा दिया और कहा कि तुम अपने कपड़े चेंज कर लो, तुम काफ़ी भीग गये हो. में करण के रूम में जाकर अपने कपड़े चेंज करने लगा और आंटी ने टी.वी ऑन कर लिया और वो टी.वी देखने लगी.

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अब मुझको अंदर लगे हुए कांच में से टी.वी साफ नजर आ रही थी. उस दिन शनिवार था और रात को टी.वी पर सेक्सी मूवी आती थी. अब जब आंटी टी.वी चैनल सर्च कर रही थी तो टीवी पर सेक्सी मूवी का चैनल आ गया, तो आंटी वो मूवी देखने लगी. अब मुझे अंदर से सब नजर आ रहा था. में करण की बनियान और पजामा पहनकर बाहर आ गया, तो आंटी ने मुझे देखकर एकदम से चैनल चेंज कर दिया और वो चेंज करने अंदर रूम में चली गयी.

मैंने जानबूझ कर वही मूवी लगा ली, क्योंकि वो अंदर रूम में कांच में साफ नजर आ रही थी. आंटी ने मुझे आवाज़ मारी और कहा कि जरा टावल देना में बाहर भूल गयी हूँ. मैं जैसे ही आंटी को टावल देने अंदर गया, तो वो एकदम नंगी खड़ी थी. अब में उनको नंगी देखकर घबरा गया था. वो मुस्कुराई और मेरे हाथ से टावल ले लिया. में बाहर आकर सोफे पर बैठ गया और टी.वी देखने लगा.

आंटी कुछ देर के बाद मेरे पीछे आकर खड़ी हो गयी, लेकिन मुझे कुछ पता नहीं चला. जब उन्होंने मुझसे कहा कि राजन कॉफ़ी लोगे? तो में एकदम से घबरा गया और टी.वी का चैनल चेंज किया और कहा कि नहीं आंटी. वो बोली कि में बनाकर लाती हूँ, तब तक तुम टी.वी देखो. उस टाईम आंटी ने वाईट कलर की नाइटी पहन रखी थी और उसमें से सब कुछ नजर आ रहा था.

कुछ देर के बाद आंटी कॉफ़ी बनाकर लाई और मेरे साथ बैठ गयी. अब आंटी ने रिमोट लेकर वही सेक्सी मूवी का चैनल लगा दिया था और वो मूवी देखने लगी थी. मैंने अपना सिर नीचे झुका लिया और कॉफ़ी पीने लगा. तो आंटी बोली कि क्या हुआ? मूवी नहीं देखनी क्या? अब बहुत शरीफ बन रहे हो, तुम आगे पीछे मेरे बदन को ऐसे घूरते हो जैसे अभी खा जाओगे और अब मेरे सामने अपना सिर झुकाकर बैठ गये हो, चलो मूवी देख लो, अब मुझसे किस बात की शर्म है?

अब में भी मूवी देखने लगा था और अब मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया था, जिससे मेरे पजामें में वहाँ से तंबू की तरह तन गया था. आंटी ने धीरे से अपना एक हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया, तो में भी थोड़ा हौसला करके उनके कंधे के ऊपर से घुमाकर अपना बायाँ हाथ आंटी के बूब्स पर ले गया और उसको सहलाने लगा. अब आंटी भी मस्त होने लगी थी और वो मेरे पजामें के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी थी. मैंने अपने दाएँ हाथ से आंटी की नाइटी को ऊपर उठाया और अपना एक हाथ उनकी चूत पर रख दिया.

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उन्होंने पेंटी नहीं पहनी थी और उनकी चूत एकदम क्लीन शेव थी. मैंने अपने लिप्स आंटी के लिप्स पर रख दिए और अपनी जीभ आंटी के मुँह में डाल दी और अपनी एक उंगली आंटी की चूत में डाल दी और अपने दूसरे हाथ से उनके बूब्स को दबाने लगा. अब आंटी मस्त होने लगी थी और कहने लगी कि में कब से तेरे लिए बैचेन थी? ओह, सस्स, उउउफफफ्फ राजन कम ऑन.

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मैंने आंटी की नाइटी उतार दी और उनकी ब्रा भी उतार दी. अब में उनके बड़े-बड़े बूब्स देखकर पागल हो गया था. अब में उनके बूब्स को अपने दोनों हाथों से दबाने लगा था. अब आंटी का हाथ मेरे लंड पर पजामें के ऊपर से तेज़ी से घूम रहा था. आंटी ने मेरे पजामे का नाड़ा खोल दिया, तो मैंने अपनी अंडरवियर और बनियान भी उतार दी.

अब हम दोनों एकदम नंगे थे और अब आंटी मेरे 7 इंच लंबे और 4 इंच मोटे लंड को देखकर खुश हो गयी थी और बोली कि आज कितने दिनों के बाद में इस खूबसूरत लंड से अपनी प्यास बुझाऊँगी? और यह कहकर आंटी ने मेरे लंड को किस किया और उसको अपने मुँह में लेकर आइसक्रीम की तरह चूसने लगी. अब में अपने एक हाथ से आंटी के बूब्स को दबा रहा था और मेरा दूसरा हाथ उनकी चूत पर था. अब मैंने अपनी 2 उंगलियाँ आंटी की चूत में डाल दी थी. अब आंटी की चूत एकदम गीली हो गयी थी.

हम करीब 40-45 मिनट तक यह सब कुछ करते रहे. उसके बाद में आंटी को गोद में उठाकर बेडरूम में ले गया. मैंने आंटी की कमर के नीचे एक तकिया रखा और में एक बार आंटी के ऊपर आ गया और उनके लिप्स पर लिप्स रखकर उनके मुँह को चूसने लगा और उनके बूब्स को चूसने लगा. अब मेरा लंड जब आंटी की चूत से टच होता, तो आंटी तिलमिला उठती थी और कहती कि अरे अब तो डाल दो, अब मुझसे और इंतजार नहीं होता. मैंने उनकी दोनों टाँगे अपने कंधे पर रखी और अपने लंड का टोपा उनकी चूत पर रखा और एक ज़ोर से धक्का मारा तो मेरा लंड 4 इंच अंदर चला गया.

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आंटी एकदम से चिल्लाई अरे धीरे से दर्द हो रहा है, लेकिन मैंने उनकी बात नहीं सुनी और अब में भी पूरे जोश में था. मैंने दूसरा धक्का लगाया तो मेरा पूरा लंड अंदर जा चुका था. आंटी जोर से चिल्लाई अरे मादरचोद तुझसे कहा ना धीरे डाल.

अब में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा था और मेरे दोनों हाथ आंटी के बूब्स के निपल दबा रहे थे. अब आंटी को मज़ा आने लगा था और अब वो भी नीचे से अपनी कमर उछाल-उछालकर मेरा साथ देने लगी थी और कहने लगी कि और ज़ोर से और ज़ोर से, ज़ोर से चोद मेरी चूत और ज़ोर से चोद, आहह इतना मज़ा मेरी चूत को कभी नहीं आया, मेरे बूब्स को मसल दे, भींच के फाड़ दे इन गुब्बारों को, फाड़ दे मेरी चूत को, आहह मारते जा, मारते जा मेरी चूत को, यह तेरा लंड लेने को बहुत प्यासी हो रही थी, अपनी आंटी को रंडी बना दिया तूने, अब चोद मेरी चूत, मादरचोद चोद. अब में भी जोश में आकर ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड अंदर बाहर करने लगा था.

अब इतने में आंटी एक बार झड़ चुकी थी और अब में भी झड़ने वाला था तो मैंने कहा कि आंटी में झड़ने वाला हूँ, बाहर निकालूँ क्या? तो आंटी बोली कि नहीं मेरे लाल अंदर ही डाल दे, कोई प्रोब्लम नहीं है. मैंने एक ज़ोरदार धक्का लगाया तो में आंटी की चूत के अंदर ही झड़ गया और आंटी के ऊपर गिर गया. अब में आंटी के लिप्स में लिप्स डालकर उनके मुँह को चूसने लगा था.

कुछ देर के बाद हम उठे और उस टाईम 3 बज चुके थे. हमने अपने-अपने कपड़े पहने और में करण के बेडरूम में जाकर सो गया. सुबह जब करण आया तो उसने मुझे उठाया और आंटी ने हमारे लिए चाय बनाई, उस टाईम आंटी के चेहरे पर खुशी साफ-साफ झलक रही थी. हमने चाय पी और में नहाकर वहीं पर तैयार हो गया और करण के कपड़े पहन लिए और करण मुझे स्टेशन तक छोड़ने गया. यह मेरा पहला अनुभव था, मुझे जब भी कोई मौका मिला तो मैनें आंटी की खूब चुदाई की और खूब मजा किया.

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